देश की बढती बेरोजगारी पर झलका युवा कवि ललित डोभाल का दर्द लिखा यह लेख :पढें
अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : देश प्रदेश में बढती बेरोजगारी को लेकर जनपद उत्तरकाशी प्रखडं नौगांव धारी निवासी युवा कवि ललित डोभाल ने देश में बढती बेरोजगारी को लेकर अपना एक दर्द लिखा है। हांलाकि यह दर्द एक ललित का नहीं हैं उन सब शिक्षित युवाओं का है जो शिक्षा के क्षेत्र अपनी तैयारी रोजगार को लेकर कर रहे हैं लेकिन सरकारों के पास इनकी योग्यता के लायक कोई रोजगार के साधन नहीं हैं। तो देखें क्या लिखा ललित डोभाल ने।
भारत एक बहुत बड़ा देश है जनसँख्या की दृष्टि से देखा जाए तो यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है किसी भी देश के लिये यह परम् आवश्यक होता है कि देश की जनता ने जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम जो सरकारे चुनी है वह सही व सकारात्मक नीतियों को अधिक महत्व दे
जनता को मूलभूत सुबिधाओं को मुहैया कराए जैसे कि जैसे कि शिक्षा रोजगार स्वस्थ्य आदि
भारत मे बेरोजगारी का बहुत बड़ा आलम है जहाँ देखो वहाँ पर कई डिग्रीधारी युवा दिखाई पड़ते है
देश के विभिन सरकारी सेवाओं में पद खाली होने के बावजूद भी समय पर सरकार द्वारा भर्तियां नही निकली जाती है साथ ही देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार से भी कई योग्य युवा रोजगार से वंचित रह जाते है क्योंकि आज देश के अधिकांश क्षेत्रों में डिग्री की तालीम के साथ साथ युवाओ से लाखों रुपये लिए जाते है तभी उनको जॉब मिल पाती है
जो युवा पैसे न दे पाए वो दर दर की ठोकरे खाते रहते है इससे यह सिद्ध होता है कि कहीं न कहीं गलती हमारी खुद की भी है कि हम कई बार अयोग्य नेताओ को आगे चुनकर भेज देते है जो केवल चुनावी दौर में मूलभूत आवश्यकताओं व बेरोजगारी को मुद्दा बनाते है और जीतने के बाद
जनता को हवा भी नही लगाते
यदि स्थिति यही रही तो एक दिन भारत देश बेरोजगार युवाओं का एक देश बन जायेगा
इसलिए सरकार को चाहिये कि
वह युवाओ के लिये व्यवसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दे ताकि युवा खुद का व्यवसाय चुन कर अपना जीवन यापन कर सके
जैसे कि इंजीनियरिंग ,चिकित्सा ,कृषि ,या विधिक शिक्षा ,या फिर कई अन्य प्रकार की शिक्षा दे हालांकि यदि शिक्षा दी भी जाती है परंतु उस हद तक नही जैसे कि दी जानी चाहिये मेरे कहने का मतलब है कि स्टूडेंट्स को पहले से बचपन से ही वोकेशनल एजुकेशन दिया जाए ताकि वह बड़ा होकर अपना खुद का एक व्यवसाय कर सके
और साथ ही एक साहित्यकार होने के नाते मेरा यह अपना मत है कि जो नेता जनता द्वारा चुने जाते है उन्हें भी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु समय समय पर ध्यान देना चाहिये
और युवाओ को रोजगार का समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये और व्यवसायिक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाना चाहिये हालांकि सरकार भी समय समय पर कई नीतियां बनाती भी है पर उन नीतियों के आधार पर जमीनी स्तर पर बहुत कम काम होता है नीतियां केवल कागजो तक ही सिमटी रह जाती है
यदि युवाओ को पूर्व से ही व्यवसायिक शिक्षा के लिये प्रोत्साहित किया जाए तो कहीं न कहीं युवा अपना रोजगार खुद ही ढूंढ लेता है!