छात्रों को सिखाया भारतीय संस्कृति पाठ।
अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : सरस्वती विद्या मन्दिर चिन्यालीसौड़ में आचार्यो के लिए भारतीय संस्कृति को पोषक कैसे बनाये व छात्रों के लिए समसामयिक विषय पर जनपद स्तरीय भाषण प्रतियोगिता हुई। आचार्यों में नवीन पडियार व छात्रों में स्नेहा मेहरा प्रथम रहे।
शनिवार को सरस्वती विद्या मंदिर में जिला स्तरीय प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। प्रतियोगिता 2 चरणों मे हुई। प्रथम चरण में आचार्यों की पत्र वाचन प्रतियोगिता भारतीय संस्क्रति का पोषक कैसे बने विषय पर हुई । 5 आचार्यों ने प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
समसामयिक विषय पर 10 छात्रों ने भाग लिया जिसमे स्नेहा पंवार प्रथम द्वीतीय आयुष नेगी व तृतीय सपना कैंतुरा रही। वंही
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहे आचार्य नवीन पडियार द्वीतीय पर रहे नागेंद्र चौहान, व तृतीया स्थान पर रहे दिनेश चंद्र भट्ट ने अपने पत्र वाचन प्रतियोगिता में कहा कि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान होती है।किसी भी राष्ट्र की पहचान के पहलूओं मे उसकी संस्कृति भी महत्वपूर्ण होती है।भारत सदियो से अपनी संस्कृति और विरासत के लिए विश्व धरातल पर जाना जाता है।परन्तु वर्तमान दौर मे हम इस संबंध मे पिछड़ते जा रहे है।भारतीय संस्कृति मे आये कुछ अहितकारी बदलाव इसके स्पष्ट संकेत है।हमारी संस्कृति सदैव “अतिथि देवो भव्”के लिए जानी जाती है परन्तु विगत कुछ वर्षो मे विदेशी सैलानियो मुख्यतः महिलाओ से हुई यौन हिंसा ने इसे शर्मशार किया है। “वसुधैव कुटुम्बकम” का भाव सदैव से धारण किये हुए भारतीय समाज ने समग्र वसुधा को अपना परिवार माना है। परन्तु वर्तमान मे विश्व तो दूर सामूहिक परिवार मे ही कलह देखने को मिलते है।
कार्यक्रम में बतौर मुख्या अतिथि कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ के प्राचार्य सी एस राघव व सीनियर साइंटिस्ट डॉ पंकज नौटियाल ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर राघव ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति बनती है वँहा रह रहे लोगो के संस्कारों से और संस्कार बनते है जिन संस्थानों में वँहा के बच्चे पढ़ते है। इसलिए किसी भी देश की संस्कर्ति के लिए वँहा के संस्थान को मजबूत किया जाना जरूरी है।
इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य नत्थीलाल बंगवाल ने कहा कि सनातन परंपरा के अनुसार संस्कार ही संस्कृति है। सभ्यता से सामाजिक व आर्थिक जीवन प्रभावित होता है, जबकि संस्कृति से आध्यात्मिक जीवन पर भी असर होता है। संस्कृति और संस्कार मानव जीवन के अस्तित्व की कुंजी है। संस्कृति देश समाज और संसार संस्कार परिवार में व्यक्ति का परिचय देते हैं।