April 16, 2024

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90 कुण्डीय अग्निहोत्र से संकड़ों भक्तों ने सीखी यज्ञ की वैज्ञानिक विधि।

मसूरी : आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन के तत्वावधान में संचालित भगवान शंकर आश्रम मसूरी द्वारा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की नवमी को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और शोभन योग में हर भवन अब हवन पवित्र और दिव्य अभियान का श्री गणेश किया गया। जिसके तहत 90 परिवारों के कईं सौ भक्तों ने अपने अपने स्थानों से आश्रम आकर विधिवत अग्निहोत्र करने की विधि सीखी। हवन के माध्यम से सभी वैदिक और सनातनी मूल्यों की संरक्षा हित सक्रिय धर्म सेवा का व्रत लिया गया। ट्रस्ट के प्रमुख व आश्रम के मुख्य अधिष्ठाता परमप्रज्ञ जगतगुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य और दिशा निर्देश में उक्त अभियान गणेश महापर्व शुभ दिवसों में शुरू किया गया। इस अभियान का उद्देश्य भारत और विश्व भर में विस्तारित भारतीय वैदिक और सनातनी मूल्यों की सारगर्भित पुनर्प्रतिष्ठा करना है। पूज्य गुरुदेव आर्यम जी ने 90 कुण्डीय अग्निहोत्र के साथ इस पुनीत अभियान का शंखनाद किया। देश भर से अलग अलग प्रांतों से भक्तों ने इस दिव्य कार्यशाला में भाग लेकर स्वयं हवन करना सीखा। आर्यम जी ने स्पष्ट किया कि भारत में सनातनी मूल्यों के प्रति एक सकारात्मक लहर देखने को मिल रही है। अब सभी लोग अपने मूल के विशिष्ट धर्म आधारों को समझने और सीखने के प्रति लालायित हैं। आश्रम द्वारा प्रारंभ की गई विभिन्न योजनाओं में यह भी एक विशिष्ट अभियान है। इसे भविष्य में पूरे भारत और फिर विश्व के अनेक देशों में प्रसारित और प्रभावित कराये जाने का प्रकल्प है। हर भवन अब हवन अभियान में भक्तों ने पूरे दिन की कार्यशाला में हवन के विभिन्न वैज्ञानिक पक्षों का प्रशिक्षण लिया। गुरुदेव श्री आर्यम जी महाराज ने नैत्यिक कर्म विधि, परिक्रमा मंत्र, ब्रह्म मुहूर्त स्तुति महत्व, आचमन विधि, इंद्रिय स्पर्श, मार्जन मंत्र, प्राणायाम मंत्र, घमर्षण मंत्र, गायत्री मंत्र, समर्पण मंत्र, संकल्प विधि, नमस्कार मंत्र, यज्ञोपवीत संस्कार, ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना विधि, स्वस्ति वाचन, शांति प्रकरण, अंग स्पर्श मंत्र, देवयज्ञ विधि, अगन्यधान मंत्र, अग्नि प्रदीपन मंत्र, समिधाधान मंत्र, पाँच घृत आहुति मंत्र विधि, जल प्रोक्षण विधि, आधारावाज्याहुति मंत्र, आज्यभाग्याहुति मंत्र, प्रातः और संध्या काल यज्ञ की विधि, व्याहृति मंत्र, स्विष्टिकृत आहुति, प्राजापत्याहुति मंत्र, व्यहृत्य आहुति, अष्ट आज्याहुति, पूर्ण आहुति, बलिवैश्यदेव यज्ञ, शांति पाठ यज्ञ देव की प्रार्थना, पूर्णिमा अमावस्या के यज्ञ प्रकार, अतिथि यज्ञ विधि, जन्मदिवस पर स्वयं घर पर हवन विधि आदि का विभिन्न सत्रों में विधिवत और विस्तार पूर्वक सभी से स्वयं हवन कराके प्रशिक्षण दिया गया। इसी क्रम में सभी 90 परिवारों को ताँबे का बड़ा हवन कुंड, ताँबे की आधार थाली, सामग्री के पात्र, दीपक, ताँबे की चम्मच, आचमन गिलासियाँ, जल का ताँबे का कलश, घृत का कांसे का पात्र, आम की समिधा, गौ घृत, कपूर आदि सभी चयनित परिवारों को दिया गया। अब आगे से यह सभी भक्त अपने अपने घरों और स्थानों पर स्वयं हवन कर सकेंगे। आयोजन को सफल बनाने में माँ यामिनी श्री, हर्षिता आर्यम, करण पम्मीराज, उत्कर्ष सिंह, सुनील आर्य, देवेंद्र गोले, अश्वनी कुमार, प्रतिभा आर्य,मुकेश पटेल, निमित जैन, अंकिता जैन, रवि सिंह, किशोर कुमार आदि का सहयोग रहा।