April 16, 2024

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बसंत पंचमी का पर्व पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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उत्तराखंड : बसंत पंचमी का पर्व यहां पारंपरिक तरीके से मनाया गया। इस मौके पर लोगों ने घरों में मां सरस्वती की पूजा अर्चना की व उसके बाद पर्व का विशेष पकवान मीठे चावल बनाये। इस दिन से ग्रामीण क्षेत्रों में खेतीबाड़ी का कार्य शुरू किया गया।

बसंत ऋतु को ऋतुओं यानी मौसमों का राजा कहा जाता है। इस पर्व को  हिंदू समाज के लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस दिन प्रातः स्नान कर मां सरस्वती की पूजा की जाती है व उसके बाद मीटे चावल बनाये जाते हैं। बसंत पंचमी पर ग्रामीण क्षेत्रों में खेतीबाड़ी का कार्य शुरू किया जाता है तथा ग्रामीण पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ खेतों में जाते है व हल लगाकर खेतीबाड़ी का शुभारंभ करते हैं। बसंत ऋतु को प्यार का मौसम भी कहते हैं, क्योंकि धरती इस मौसम में खूबसूरत फूलों का श्रंगार करती है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में कई उत्सव मनाने का भी रिवाज है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और बच्चों की पढ़ाई का आरंभ भी किया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में इसे विद्यारंभ पर्व कहते हैं। यहां के बासर सरस्वती मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।वसंत पंचमी पर विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी। पारंपरिक रूप से देश के कई हिस्सों में इस दिन बच्चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है।

आज ही के दिन होलिका दहन के लिए पूजा करके बांस भी गाड़ा जाता है ओर परम्परानुसार इसी स्थान पर होली को सजाया जाता है और होली के दिन यही पर इसको दहन भी किया जाता है।

 

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