May 14, 2024

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मसूरी – शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने शोक दिवस मना किया विरोध दर्ज।

मसूरी : 2 वर्ष पूर्व 24 अगस्त 2020 को रोपवे प्रोजेक्ट के अंतर्गत खाली कराए गए शिफन कोर्ट के निवासियों ने शहीद स्थल झूला घर पर शोक दिवस मनाया जिसमें शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने नगर पालिका परिषद मसूरी और प्रदेश सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए मांग की है कि यदि 2 माह के भीतर उन्हें छत मुहैया नहीं कराई गई तो उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
आवश्वासन के दो साल बाद तक भी घर उपलब्ध न कराने पर आज शिफन कोर्ट के प्रभावितों ने शोक दिवस मनाया और धरना देकर मसूरी नगर पालिका और सरकार के विरूद्ध आक्रोश प्रकट किया। आन्दोलनरत लोगों ने मुख्यमंत्री के मजदूरों को आवास देने के आश्वासन देने की फ़ोटो वाला एक बैनर उन्हें स्मरण दिलाने हेतु हस्ताक्षर कर मुख्यमंत्री को भेजा गया। वहीं नगर पालिका को 6 माह का और वक्त देते हुए उग्र आन्दोलन की चेतावनी दी है। शहीद स्थल पर धरने के दौरान वक्ताओं ने कहा कि सिफन कोर्ट के दलित एवं गरीब परिवारों को रोपवे परियोजना के अंतर्गत भारी पुलिस बल की मौजूदगी में उनके मकानों से बेदखल कर दिया गया था लेकिन 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें छत नहीं मिली है और 84 परिवार जो कि वहां रहते थे आज भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। जिनमें से अधिकांश लोग अपने गांव की ओर लौट चुके हैं और कुछ लोग आज आंदोलन के माध्यम से सरकार और स्थानीय प्रशासन को जगाने का प्रयास कर रहे है। इस अवसर पर शिफन कोर्ट संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा ने बताया कि 84 परिवारों को आज ही के दिन बेघर कर दिया गया था और कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा यह कार्यवाही की गई थी जिसमें गर्भवती महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों को खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर होना पड़ा था। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि जिन परिवारों को बेघर किया गया है उन्हें नगर पालिका और प्रदेश सरकार द्वारा विस्थापित किया जाएगा लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी आज तक विस्थापित नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। वही समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी ने कहा कि निर्बल वर्ग और गरीब रिक्शा चालकों की बस्ती को शासन द्वारा हटा दिया गया और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि 15 दिनों के भीतर उन्हें विस्थापित कर दिया जाएगा लेकिन आज तक उन्हें विस्थापित नहीं किया गया है। उन्होंने नगरपालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा गरीबों के साथ छलावा किया गया है। वही नगर पालिका परिषद मसूरी के सभासद प्रताप पवार ने कहा कि पालिका की बोर्ड बैठक में कोई भी ऐसा प्रस्ताव पास नहीं किया गया है जिसमें की बेघर लोगों को विस्थापित किया जा सके। नगर पालिका अध्यक्ष मात्र गरीबों से छलावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी द्वारा भूमि पूजन किया गया लेकिन आज तक गरीबों को मकान नहीं मिल पाए हैं।

इस मौके पर बड़ी संख्या में धरने को सयोंजक दर्शन रावत, कमल भण्डारी,  व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, मेघ सिंह कण्डारी, नफ़ीस अहमद, राजेन्द्र सेमवाल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मुलायम सिंह, कामिल, कुशा देवी, गीता देवी, सीमा देवी, मायाशवरी देवी, संगीता भण्डारी, रणजीत कंडारी, आरपी बडोनी, देवी गोदियाल, मजदूर संघ महामंत्री रणजीत चौहान, राज मोहन, बिनोद टम्टा, शिबलाल, शंतलाल, भागमल, पारेस्वर,बालकृष्ण, सुमित्रा देवी, धन सिंह, अवतार सिंह, संजय कैंतुरा, मनिता देवी, कुशा टम्टा, प्रमिला देवी, मदन भट्ट आदि मौजूद रहे।

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