इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने गुरुनानक की 1733 की ऐतिहासिक तस्वीर भेंट की।
मसूरी : गुरू नानक देव का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर गुरूद्वारों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गये वहीं गुरू का लंगर का आयोजन किया गया। वहीं शाम को आतिशबाजी व कविदरबार के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
वहीं गुरूनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने गुरू सिंह सभा को 1733 की एक ऐतिहासिक तस्वीर गुरूनानक की भेंट की। जो तत्कालीन पेंटर आलम चंद राज की बनाई है। वहीं इस तसस्वीर के साथ एक और ऐतिहासिक तस्वीर भी है जो 1840 की है। जो बनारस के दुर्गाशंकर पाठक बनारस की लिखी पुस्तक की है। इस मौके पर यह भी बताया गया कि गुरूनानक देव उस जमाने में मसूरी भी आये थे उन्होंने जो 4 उदासी की उनमें एक मसूरी में भी की थी। 1514 ई. को तीसरी उदासी श्री करतापुर से कलानौर,, कांगड़ा होते हुए पालमपुर पहुंचे, और वहां से कुल्लू, मंडी, रिवालसर, रोपड़,देहरादून, मसूरी, गंगोत्री, बद्रीनाथ, अल्मोडा, रानीखेत, नैनीताल,श्रीनगर, गोरखपुर, सीतामढी, काठमांडू, मानसरोवर, लेह, ताशकंद, किश्तवाड, भ्रदवाह, वैष्णोंदेवी,रियासी, जम्मू होते हुए151र्6इं. को वापस करतार पुर पहुंचे थे। गुरू नानक देव के जन्म दिवस पर गुरू सिंह सभा लंढौर ने पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, इतिहास कार गोपाल भारद्वाज व व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल को सरोपा भेंट किया गया।