पर्यावरण प्रेमी प्रदीप असवाल ने कोरोना काल में जगाई अलक, पर्यावरण अभियान की चलाई मुहिम।
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अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : देश और प्रदेश में एक तरफ कोरोना महामारी का कहर और दूसरी ओर वैश्विक महामारी करोना के कारण 3 माह पूर्व लगे लॉकडाउन के चलते जहां लोग खुद के संक्रमित होने को लेकर चिंतित थे। वही समाजसेवी प्रदीप सिंह असवाल लोगों में फैलती बीमारी एवं उनके संक्रमण मे वृद्धि को लेकर चिंतित थे।
लॉक डाउन के खाली समय एवं गिलोय के औषधीय गुणों रोग-प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए। पर्यावरण प्रेमी प्रदीप सिंह असवाल ने यह निर्णय किया कि वह खुद ही अपने घर में गिलोय के पौध का उत्पादन कर इसे समाज के बीच में पहुंचायेगे। जहाँ से सभी लोगों को गिलोय आसानी से उपलब्ध हो सके। जिसके चलते उन्होंने खुद अपने घर में मेहनत करके डेढ़-दो माह में कलमों से गिलोय की पौध तैयार करी। एवं निशु:ल्क वितरण हेतु ऐसे स्थानों का चयन किया जहां पर आम जनमानस आते जाते रहते हैं इसमें उन्होंने नगर तहसील कार्यालय, नगर पालिका परिषद कार्यालय, जल संस्थान कार्यालय, आयुर्वेदिक एवं अन्य सभी अस्पताल, कोषागार,नगर पुलिस थाना, डीएफओ कार्यालय, रवांई रेंज कार्यालय, नौगांव रेंज कार्यालय, एवं क्षेत्र के विद्यालयों का चयन किया। विद्यालय मे गिलोय लगने से विद्यालय आने वाले नजदीक के सभी गांवों मे जरूरत पड़ने पर गिलोय बच्चों के माध्यम से उपलब्ध हो पायेगी।
इसी बीच विद्यालय में गिलोय वृक्षारोपण करते समय इन्हें एक विचार आया कि क्यों ना गिलोय के साथ-साथ आंवले के वृक्ष का भी रोपण विद्यालय में किया जाए। क्योंकि आंवला भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है और यह भी विद्यालय के बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में विद्यालय के बच्चों की मदद भी करेगा। आंवला विटामिन सी का भरपूर स्रोत होने के अलावा कैल्शियम आयरन व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है यह आंखों की रोशनी के साथ-साथ त्वचा एवं बालों के लिए फायदेमंद है रक्तशोधक आंवला कोलेस्ट्रॉल कम करता है कोलेस्ट्रोल की कमी से शरीर में हार्ट अटैक के खतरे को भी कम करती है और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है। सुबह खाली पेट एक या दो आंवला खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। और विद्यालय में आने वाले छात्र-छात्राएं खाली पेट भी इनका सेवन कर सकते हैं। पर्यावरण प्रेमी प्रदीप सिंह असवाल बताते हैं कि वृक्षारोपण के कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर कई लोग उनसे घर में गिलोय की कलमों से गिलोय की पौधे तैयार करने की जानकारी ले रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी प्रदीप ने दो साल के लाकडाउन के खाली समय मे घर मे अन्य फलों के पेड़ पौध भी खुद तैयार करे है। जहा अक्सर लोगों फल खाने के बाद उनके बीज फेक देते है वही प्रदीप उनहे एकत्र कर सुखा कर खेत मे रोपित कर देते है। प्रदीप कहते है वृक्ष रोजगार का भी अच्छा साधन है। पिछले लाकडाउन मे अनार सेब की तैयार पौध के अलावा उन्होंने इस लाकडाउन मे किनू संतरे पपीते लीची की पौध भी तैयार की है।