अपील, जन जागरूकता, थोड़ी सी कड़ाई और परिणाम- सुरक्षित कुम्भ
1 min readउत्तराखंड/हरिद्वार : अप्रैल माह के मध्य में जब देशभर में कोरोना का संक्रमण ज्यादा बढ़ने लगा तो समय एवं परिस्थितियों की गम्भीरता को देखते हुए भारत सरकार के साथ-साथ कुम्भ मेला पुलिस-प्रशासन ने सभी अखाड़ों के पदाधिकारियों से शेष शाही स्नानों को संक्षिप्त तथा प्रतीकात्मक रूप से करने की अपील और आवाहन किया।
प्रशासनिक स्तर पर भी आईजी कुम्भ के द्वारा लगातार मीटिंग/ब्रीफिंग करते हुए कुम्भ मेला पुलिस के सभी अधिकारी/जवानों को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल उत्तराखंड के कोविड सम्बंधित दिशा-निर्देशों, केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड SOP को पहले से भी अधिक सख्ती के साथ लागू किये जाने के स्पष्ट आदेश दिए।
इसके अलावा केन्द्र तथा सभी राज्य सरकारों के द्वारा भी अपने-अपने स्तर से जनता में कोरोना के प्रति जन जागरूकता को बढ़ाने के सम्बंध में जो प्रयास किये गए उसके कारण भी लोगों ने कुम्भ मेले में आने में कम ही उत्साह दिखाया।
इस प्रकार अपील, जन-जागरूकता और कुम्भ मेला पुलिस द्वारा सख्ती के साथ लागू किये गए कोविड नियम-कानूनों का असर नीचे दिए गए आंकड़ों में स्पष्ट दिखाई देता है :-
स्नान पर्व – स्नानार्थियों की संख्या (लगभग में)
वर्ष 2010 – वर्ष 2021
सोमवती अमावस्या – 80 लाख – 21 लाख
बैशाखी स्नान – डेढ़ करोड़ – 13 लाख
चैत्र पूर्णिमा – 10 लाख – 25 हजार मात्र
प्रत्येक कुम्भ में शाही स्नानों पर सभी अखाड़े अपने पूर्ण वैभव, शानों शौकत, गाजे बाजे और लाखों की संख्या साधु, सन्तों, नागाओं और अपने अनुयायियों के साथ स्नान हेतु आते हैं। लेकिन इस बार चैत्र पूर्णिमा के अंतिम शाही स्नान में जहाँ अखाड़ो ने अपने साथ स्नान में किसी भी गृहस्थ को सम्मिलित नही किया, वहीं दूसरी ओर बड़ी ही सादगी के साथ अपने साधु, सन्तों, नागाओं की संख्या भी उंगलियों पर गिनने लायक ही रखी। अंतिम शाही स्नान में अखाड़ो की और से सम्मिलित स्नानार्थियों की संख्या निम्न प्रकार रखी:-
- निरंजनी और आनन्द में समिल्लित रूप से लगभग 75 से 85 संत
- जुना, अग्नि और आवाहन अखाड़े में समिल्लित रूप से लगभग 250 संत
- महानिर्वाणी और अटल में सम्मिलित रूप से लगभग 70-80 संत
- बैरागियों के निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर में सम्मिलित रूप से लगभग 500 से 600 संत
- बड़ा उदासीन में लगभग 130 और नया उदासीन में लगभग 100 संत
- निर्मल में लगभग 100 संत ही शामिल हुए।