शिफन कोट की आंदोलनकारी महिलाओं ने सरकार को जगाने के लिए थाली बजा किया प्रदर्शन।
मसूरी : शिफन कोट के बेघर मजदूरों के धरने को 22वां दिन हो गया। इस मौके पर पहला नवरात्रे को नारी दमन दिवस के रूप में मनाया व शहीद स्थल से लेकर एसडीएम कार्यालय तक महिलाओं ने थाली बजाकर प्रदर्शन किया जिसका उददेश्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री व विधायक सहित पालिकाध्यक्ष को जगाना है कि उन्होंने जो वादा घर देने का किया है उसे पूरा किया जाय। इस मौके पर एसडीएम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी दिया गया।
शिफन कोट के शहीद स्थल पर धरना देने वाले आंदोलनकारियों ने पहला नवरात्रा नारी दमन दिवस के रूप में मनाया व थाली बजाकर एसडीएम कार्यालय तक प्रदर्शन किया। आंदोलन के संयोजक प्रदीप भंडारी ने कहाकि शहीद स्थल पर 22वें दिन भी धरना जारी रहा व प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री को उनके किए वादे के लिए जगाने को थाली बजा कर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि तीन साल होने पर भी शिफन कोट के मजदूरों को आवास उपलब्ध नहीं कराये गये, जबकि मुख्यमंत्री ने एक सितंबर 2021 को शहीद स्थल पर चार माह में आवास देने की घोषणा की थी। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा ने कहाकि सोई प्रदेश सरकार को जगाने के लिए थाली बजाकर प्रदर्शन किया गया। ताकि सरकार अपने वादे को पूरा करे। वहीं आंदोलनकारी महिला गोदांबरी देवी ने कहा कि एक ओर सरकार प्रदेश में नारी शक्ति के सम्मान के लिए नवरात्रों में कार्यक्रम कर रही है वहीं दूसरी ओर यहंा पर बेघर महिलाओं को अपमान कर रही है। न प्रदेश सरकार सुन नहीं है और न पालिकाध्यक्ष सुन रहे हैं इसलिए उन्हें जगाने के लिए थाली बजाकर प्रदर्शन किया गया व एसडीएम के माध्यम से प्रदेश सरकार के मुखिया को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन देने के बाद एसडीएम नंदन कुमार ने कहा कि शिफन कोट के बेघरों को आवास देने की कार्रवाई चल रही है विगत दिनों हंस फाउंडेशन व पालिका के बीच वार्ता हुई है व जमीन चिन्हित कर ली गई है। शीघ्र पालिका एमओयू तैयार करेगी व उसके बाद आवास बनाने की कार्रवाई की जायेगी।
इस मौके पर प्रदीप भंडारी, पूरण जुयाल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता, मेघ सिंह कंडारी, सभासद प्रताप पंवार, दर्शन रावत, बलबीर सिंह, दयाल सिंह, सुदर लाल, गिरीश लाल, सुशीला देवी, सविता देवी, अंजनी देवी, ममता देवी, स्मिता देवी, दीपा देवी, सरस्वती देवी, गंगशीरी देवी, मीरा, सुनील टम्टा, राजमोहन सहित बड़ी संख्या में आंदोलनकारी महिलाएं व पुरूष मौजूद रहे।