मसूरी – सड़कों का लाभ ले रहे हैं किराये पर स्कूटी देने वाले।
मसूरी : पर्यटन नगरी मसूरी में किराये पर स्कूटी देने वालों की लगातार बढ़ती संख्या परेशानी का सबब बनती जा रही है। अब तो मसूरी में किराये पर स्कूटी देने वाले लाइब्रेरी के गांधी चौक से लेकर लंढौर रोड तक फैल चुके है।ं लेकिन प्रशासन व पुलिस इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही जिस कारण लगातार अव्यवस्था बढ़ रही है।
गांधी चौक का विस्तारीकरण इसलिए किया गया था कि यहां पर मसूरी के अधिकांश उत्सव होते हैं, लेकिन यहां पर स्थान की कमी के कारण व वाहनों के दबाव के कारण जाम लग जाता था। लेकिन इस विस्तारीकरण का लाभ अब अवैध रूप से किराये पर दुपहिया वाहनों के धंधा करने वाले उठा रहे हैं।यहीं नहीं गांधी चौक की दुकानों के आगे भी किराये की स्कूटी वालों ने अपनी अवैध पार्किंग बना ली है जिसकी प्रशासन व पालिका को खबर तो है लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही। इसी तरह मालरोड पर कई जगह स्कूटी किराये पर देने वालों के बोर्ड लगे है तथा वहां पर भी किराये की स्कूटी रखी रहती है। यही हाल अब लंढौर रोड पर हो गया है। शहीद भगत सिंह चौक पिक्चर पैलेस से लंढौर जाने वाले मार्ग पर करीब चार पांच जगहों पर किराये की स्कूटी की दुकाने खुल चुकी है जिसमें से दो की तो अपनी दुकानों के अंदर स्कूटियां रहती हैं लेकिन उसके अलावा जो अन्य दुकाने खुली है उनकी स्कूटियां सड़क के किनारे खड़ी की जाती है जिस कारण यहां पर हर समय जाम की स्थिति पैदा हो गयी है और अब अगर इनकी दुकानों के सामने अन्य कोई अपनी स्कूटी या वाहन लगाना चाहे तो नहीं लगा सकता उसे वह लगाने नहीं देते उससे ऐसा प्रतीत होता है कि शायद इन्होंने दुकानों के साथ सड़क भी खरीद ली हो। इससे अब यहां पर हर समय जाम लगने के साथ ही झगड़े का अंदेशा भी बना रहता है। मालूम हो कि जो लोग स्कूटी किराये पर दे रहे हैं उनको नियम कानूनों की जानकारी नहीं है। इनके लिए बाकायदा नोम्स बने हैं व उसके आधार पर ही यह स्कूटी किराये पर देने का संचालन कर सकते हैं। किसी सार्वजनिक स्थान पर यह स्कूटी खड़ी कर व्यवसाय नहीं कर सकते। स्कूटी या बाईक किराये पर देने वालों के लिए बाकायदा नियम कानून बने हैं पहले कि उनका अपना कार्यालय होगा, उनके पास जितने दुपहिया वाहन होंगे उन्हें खड़ा करने की पार्किंग होनी चाहिए उससे अधिक दुपहिया रखना भी अपराध होगा। जहां पार्किंग होगी वहां शैड बना होना चाहिए आदि अनेक नियम कानून बने हैं लेकिन मसूरी में इसे देखने वाला कोई नहीं है। जहां से इन्हें लाइसेंस मिलता है उसके पहले उन्हें सभी नियम कानूनों की पूर्ति करनी होती है। पर यहां तो मनमर्जी का राज है कोई देखने वाला नहीं है। जिसके चलते यह अवैध धंधा बेलगाम होकर चलाया जा रहा है व पुलिस तथा प्रशासन तमाशबीन हो कर देख रहा है।