मसूरी – 32 करोड की लागत से बनी पार्किग नहीं आ रही किसी काम।
मसूरी : पर्यटन नगरी मसूरी में पार्किग की समस्या का समाधान करने के लिए पर्यटन विभाग ने लोक निर्माण विभाग के माध्यम से किंक्रेग पर लगभग 32 करोड़ की भारी भरकम राशि से मल्टी लेबल पार्किंग का निर्माण किया तब ये कहा गया था कि इससे बनने से मसूरी में पार्किंग की समस्या का समाधान हो जायेगा व जाम से जनता को मुक्ति मिलेगी। लेकिन इस पार्किंग का लाभ सही मायने में नहीं मिल पाया।
32 करोड़ की लागत से किंक्रेग में बनी पार्किंग वाहनों को खड़ा करने के लिए तरस रही है। आश्चर्य की बात है कि पीक सीजन में भी इस पार्किंग का लाभ नहीं मिल पाया। और जनता को जाम से जूझना पडा। आखिर इतनी बड़ी राशि से करीब दो सौ वाहनों की पार्किंग में वाहन क्यो खड़े नहीं हो पा रहे हैं। इसके पीछे जानने पर पता चला कि यहां पर सबसे बड़ी समस्या है कि जो पर्यटक मसूरी आयेगा वह यहां पार्किंग करने से बचता है। क्यो कि उसे तो लाइब्रेरी या कुलड़ी क्षेत्र में जाना होता है, ऐसे में वह अगर किंक्रेग पर अपना वाहन पार्क करेगा तो वहां से दो किमी दूर लाइब्रेरी या कुलड़ी कैसे आयेगा। क्यो कि पार्किंग से ऐसी कोई शटल सेवा नहीं है जो पर्यटक को उनके गंतव्य तक पहुंचा सके। एक बार पार्किंग के ठेकेदार ने प्रयास भी किया लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। क्यो कि शटल सर्विस तभी सफल होगी जब यहां लगातार वाहन आयेंगे। वहीं जब शहर में नये पर्यटक आते हैं तो उन्हें शहर की जानकारी न होने के कारण वहां वाहन खड़े किए गये और फिर वहां से मसूरी तक उन्हें अपने सामान व बच्चों को लेकर पैदल मसूरी पहुंचना पड़ा जो कि बहुत ही परेशानी का कारण बना। आश्चर्य की बात है कि इस बार जून के महीने में एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जिस दिन लोगों को जाम से न जूझना पड़ा हो। यहां तकि अब तो मालरोड पर भी ऐसा ही जाम लग रहा है।
पर्यटन नगरी में पार्किग की कमी एक बार फिर से उजागर हुई है। हालांकि बड़े जोर शोर से इस सीजन में प्रशासन व पुलिस ने किंक्रेग पार्किग बनने के बाद दावा किया था कि जाम नहीं लगेगा लेकिन उनका यह दावा खोखला साबित हुआ। हाल यह है कि पुलिस पूरे दिन जाम खुलवाने में भी अपना पसीना बहा रही है। उसके बाद भी सार्थक परिणाम नहीं आ पा रहे है। हर रोज लाइब्रेरी से किंक्रेग, लाइब्रेरी से जीरो प्वाइंट, मालरोड, लंढौर रोड और अब पिक्चर पैलेस रोड पर भी जाम से जनता को जूझना पड़ रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि किंक्रेग पर पार्किग बनने से इसका लाभ मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 32 करोड की लागत से लोक निर्माण विभाग ने पर्यटन विभाग के माध्यम से पार्किग तो बना दी लेकिन वहां पर कोई भी पर्यटक अपना वाहन खड़ा करने को तैयार नही है। इसके पीछे सबसे बड़ी कमी पुलिस व प्रशासन की नजर आ रही है। पहले तो कहा गया कि जब यह पार्किंग ठेके पर जायेगी तो उसके बाद यह चलेगी व जो ठेकेदार होगा वह शटल सर्विस चलायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि पुलिस ने से शटल सर्विस चलाने का प्रयास किया व टैक्सी यूनियन के सहयोग से शटल सर्विस शुरू की। लेकिन यह सफल नहीं हो पाया। क्यो कि पार्किग इतनी नीची बनी है कि उसमे टेंपो अंदर नहीं जा पा रहे हैं वहीं शटल सर्विस भी पर्यटकों को सही समय से नहीं मिल पा रही थी। जब तक नियमित रूप से शटल सर्विस शुरू नहीं की जाती व उन होटलों के साथ समन्वय नहीं बनाया जाता जिनके पास पार्किंग नहीं है तब तक इस पार्किग का लाभ मिलना संभव नहीं है।