मसूरी – कोविड ने स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया, सगंध पौधों की खेती बनी आय का साधन।
मसूरी : राजेश चौहान ने कोविड काल में अपना रोजगार खोने के बाद बेराजगारी की मार को अपने रोजगार का हथियार बना कर गांव गया व वहां पर संगंध पौधों की खेती षुरू की व गुलाब जल बनाने का कार्य प्रारंभ किया। जिसे वह मसूरी में बेच रहे हैं व अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
राजेश चौहान ने बताया कि कोविड के समय उनका रोजगार समाप्त हो गया था व परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था ऐसे में वह गांव गये व अपने गांव धारकोट पटटी कड़ाकोट कीर्तिनगर विकासखंड टिहरी गढवाल गये व वहां जाकर अपनी आय का साधन सगंध पौधों की खेती को बनाया। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहली बार सगंध पौधा केंद्र षिविर की ओर से मनरेगा के तहत कृषिकरण का प्रषिक्षण लिया। तथां 5400 थैली पौध डेमस्क गुलाब की ली व अपने खेत में रोपण किया। जिसकी खेती बहुत अच्छी हुई। इसके बाद सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई देहरादून से योजना के तहत निःषुल्क मिनी आसवन संयत्र मिला जिससे उन्होंने 50 लीटर गुलाब जल निकाला। लेकिन गांव में बाजार न होने पर गुलाब जल मसूरी लाये व यहां पर छोटी छोटी बोतलों में भरकर बेचना षुरू किया जिसे पर्यटकों ने काफी पंसंद किया व उनकी आर्थिक स्थित में सुधार आने लगा। उन्होने बताया कि यह ऐसा पौधा है जिसे जानवर नहीं खाते इसलिए किसी जानवरों का डर नहीं है कि फसल खराब हो जायेगी।
वहीं कैंप अधिकारी सुनील बर्त्वाल ने बताया कि उत्पादित सुगंधित फसलों की गंध के कारण जंगली जानवर दूर भागते हैं, इन्हें असिंचित क्षेत्रों में भी बड़ी आसानी से उगाकर आर्थिकी का साधन बनाया जा सकता है। उत्पादित सुगंधित तेलों को कैंप संस्थान सीधे निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदती है वहीं कृषकों को बाजार का मार्ग दर्शन भी करवाती है। ताकि वह बाजार में भी अपने उत्पादों को बेच सकें। ग्राम प्रधान गबर सिंह चौहान का कहना है कि इसी तरह से विभागीय योजनाओं का लाभ अन्य ग्रामवासी भी ले सकते हैं। जिससे लगातार बंजर हो रही भूमि पर इसकी खेती कर सकें इसके लिए सरकार लगातार प्रोत्साहन दे रही है।