April 16, 2024

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नव उत्थान के शिखर पर भारत – प्रो. पुष्पेंद्र कुमार आर्यम

– प्रोफ़ेसर पी.के.आर्य

मसूरी : वोन्मेष के वर्तुल लहक रहे हैं पुनश्च: एक और वर्ष स्वागत की दहलीज़ पर खड़ा मुस्कुरा रहा है। हम सब आदतन उसके लिए गहरे अहोभावों से पूरित हैं, आशाओं की कौंपलें फूट रही हैं। पुराने और अप्रिय को विस्मृत करने को मन उतावला है, नूतन और नए के प्रति नए रोमांच का संचार जीवन के प्रति पुलक पैदा करता है। निजी जीवन से इतर समाज और राष्ट्र के बारे मिलने वाले संदेश हृदय को आह्लादित करते हैं कि चलो कुछ भी हो हमारा भविष्य नवोत्थान के स्वर्णिम शिखरों की ओर देखकर प्रसन्न और आनंदित तो है।
हर जाता हुआ वर्ष कुछ शुभ कुछ अशुभ छोड़ता ही है। 2021 भी अपवाद न था।लेकिन कोविड की दूसरी लहर जिसमें ओक्सीजन की क़िल्लत मची , लंबे अरसे तक भूलेगी नहीं। कोविड के सभी प्रकोपों ने हर बार जीवन को नए सिरे से समझने में मदद की है। इस आपदा का एक सुखद पक्ष यह है कि यह हमें आत्मवलोकन का अवसर दे रहा है। ज़िंदगी आज भी अपने विविध रंगों में पूरे वेग से लहलहा रही है। कोविड के प्रहार से दबी कुचली अर्थव्यवस्था कहीं चिंता का सबब है तो कहीं नोटों के अम्बार समृद्धि के विद्रूप स्वरूप की गंध छोड़ रहे हैं।अजीब समाजवाद है जो असामाजिक होकर मुखर है।कहीं भारत माता को डायन कहने वाले और देश के टुकड़ों का स्वप्न पालने वाले सोरबा सूप चख रहे हैं , कहीं तथाकथित रूप से लादे गए व्यक्तित्व के विषय में अपनी अभिव्यक्ति देने वाले जेल की सलाख़ों के पीछे हैं।
लम्बे अरसे से अपने स्वरूप के उद्धार को प्रतीक्षारत अयोध्या और बनारस के भाग्य जगे हैं।देश अपने स्वरूप और स्वाभिमान की एक स्वर्णिम यात्रा पर चल निकला है।नरों में कुछ इंद्र अपनी सार्थकता को उपलब्ध हुए हैं तो कुछ योगियों की साध तपकर प्रकट हो रही है। अंग्रेज़ी में एक कहावत है “मैन बिहाइंड द कैमरा” अब आने वाला समय तय कर देगा कि ‘मैन बिहाइंड द पॉलिटिक्स’ भारत अपनी स्थिति और अपनी शक्ति के एक नए आयाम को संस्पर्श कर रहा है। आते वर्ष में भारत का प्रभुत्व समग्र रुपेण विस्तारित होता दीख रहा है। देश नव उत्थान के नूतन शिखरों की ओर पूरी आन बान और शान से बढ़ रहा है।
जाते वर्ष में नरेंद्र मोदी एक अत्यंत दूरदर्शी नेता के रूप में उभरे हैं।आते वर्ष में इस वर्ष बोए गए बीज पुष्पित पल्लवित होने प्रारम्भ होंगे।अमेरिका के साथ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्तों में भारतीय कूटनीति छिपी है। वियतनाम के साथ भारत का गठजोड़ चीन पर दबाव बनाने के लिए काफ़ी है।प्रायः ऐसा होता है कि विश्व में सभी देशों की सभी देशों से नहीं पटती पहली बार यह देखने को मिल रहा है कि भारत का चीन और पाकिस्तान को छोड़कर कोई शत्रु नहीं। वैश्विक पटल पर भारत की स्वीकार्यता सभी देशों के मध्य एक नए वैश्विक सम्बंध का ताना बाना बुनती दिखायी दे रही है।
बहुत से क़यासों को पीछे छोड़ते हुए क़ोरोना के मामले में भी भारत अन्य अनेक विकसित देशों से अच्छी स्थिति में है। भारत ने दवाई बनाने से लेकर उसके प्रयोग तक में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं।बहुत मामूली से नुक़सान के साथ हमें हँसता मुस्कुराता देखकर समूचा विश्व हतप्रभ है !
वियतनाम ने चीन के दक्षिणी छोर पर तेल निकालना प्रारम्भ कर दिया है । यह तेल भारत को भेजा जाता है। भारत की रिलायंस कम्पनी वहाँ कार्यरत है। अमेरिका का वियतनाम पर बढ़ता वर्चस्व भारत के लिए सुखद संकेत है। भारत की सीमाओं पर ख़ासकर चीनी क्षेत्र में भारतीय सैन्य दबदबा बढ़ा है।1962 के बाद पहली बार लिपुलेख दर्रे तक भारतीय सड़क मार्ग एकदम दुरुस्त है। जो किसी भी चीनी कार्यवाही को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पर्याप्त है।कैलाश मानसरोवर मार्ग विशेषकर उत्तराखंड , तिब्बत और नेपाल सीमा पर भारत की आज जो स्थिति है , वह पहले कल्पना की बात थी। जब लाक्डाउन में सभी गतिविधियाँ लगभग थिर थी तब हमारे सैनिक वहाँ नवनिर्माण के नए अध्याय रच रहे थे।
चीन ने सियाचिन दर्रे पर मानवीय दल को हटाकर अपने रोबोट दस्ते नियुक्त किए हैं जबकि भारतीय सैनिक माइनस 40 तापमान में भी वहाँ गिद्धा पा रहे हैं। चीन और अमेरिका का भारत में 15 अरब डालर निवेशित है।भारत के लिए यह एक विन विन स्थिति है। जबकि पाकिस्तान अपनी ग़रीबी की पराकाष्ठा पर है। अफगनिस्तान की सीमा के निकट ईरान में भारतीय सेना ने जो पोर्ट बनाया है वह बहुआयामी उद्देश्यों की पूर्ति करेगा। अब ईरान भारत से सीधे व्यापार और अन्य कार्यों हेतु स्वतंत्र है। भारत ने साऊदी अरब की मदद से पाकिस्तान में सेक्शन 2ए और 3 ए रद्द कराके पुनः पाकिस्तान को विभाजन के कगार पर ला खड़ा किया है। अब पाक चार हिस्सों में विभक्त होगा। सबसे पहले पाक अधिकृत कश्मीर भारत में विलय होगा। भारत ने सार्क़ सम्मेलन रद्द कराके अपनी शक्ति का एहसास समूचे विश्व को कराया है। रूस और जापान जैसी दो महाशक्तियों का भारत से जुड़ाव गहराया है , इसका परिणाम यह निकलेगा कि भारत पहले एशिया और बाद में दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली देशों में गिना जाएगा।


यदि चीन हांगकांग में अपनी शक्ति दिखाता है तो भारत चीन अधिकृत कश्मीर को क़ब्ज़े में करने को तैय्यार है , ताकि उसकी सीपीईसी योजना को बाधित किया जा सके। अमेरिका भारत को सहर्ष एमटीसी आर समूह में शामिल कर चुका है अब जल्दी ही भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एन एस जी को भी अपने प्रभुत्व में ले लेगा।
बुरे से बुरे वक़्त में भी कुछ न कुछ अच्छा और श्रेष्ठ होता ही है यह नियति का नियम है। जिस समय हिंदुत्व पर कुल्हाड़ा चल रहा था और प्रतिदिन सैकड़ों किलो जनेऊ और चोटियाँ तोलकर धर्मांतरण किया जा रहा था , उसी समय हनुमान चालीसा और रामचरितमानस की रचना हुई। कोविड काल में जब अन्य अनेक देश अपने अस्तित्त्व और भविष्य से जूझ रहे थे उसी समय भारत में नव आधुनिकीकरण की ठंडी बयार बह रही थी। सीमाओं और नगरों में शानदार सड़कों और सुविधाओं का निर्माण हो रहा था। आते वर्ष में विकास कार्यों की यह गति बरकरार रही तो हमें शीघ्र ही उन्नत राष्ट्र के नागरिक होने का सुखद एहसास होगा।
भारत पर 200 साल तक राज करने वाले ब्रिटेन में आहूत 53 देशों की सभा में भारत के प्रधानमंत्री को महाध्यक्ष बनाना बहुत बड़े परिवर्तन की ओर संकेत करता है। यू एन मानवाधिकार परिषद में सदस्यता हेतु भारत को मात्र 97 मतों की आवश्यकता थी मिले 188 यह पहले कभी सम्भव न था।जब दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली देशों की सूची जारी हुई तो भारत उसमें चौथे नम्बर पर आया, हमसे आगे अमेरिका , रूस और चीन हैं। जिस जी एस टी को लेकर इतना हो हल्ला था उसका मासिक कलेक्शन एक लाख करोड़ को पार कर गया। नए ऊर्जा सौर संयंत्र लगाने में अमेरिका और जापान को पीछे छोड़कर भारत आगे आन खड़ा हुआ।भारत की जी डी पी 8.2 है जबकि चीन की 6.7 और अमेरिका की 4.2 ही है। जल थल और गगन तीनों क्षेत्रों में सुपर सोनिक मिसाइल दागने वाला पहला देश बना भारत।इन उपलब्धियों की सूची बहुत लम्बी है जो भारत को उसके उन्नत शिखर की ओर अग्रसर कर रही है और अच्छे दिन किसे कहेंगे भला?
हम सुनते आएँ हैं कि भारत विश्वगुरु था । अब हम पुनः उसी ओर अग्रसर हैं।इतनी आबादी और इतनी विषमताओं के बीच भी भारत जिस तरह से उभर रहा है उसे देखकर सारी दुनिया ठगी सी खड़ी है। आते वर्ष में जनसंख्या नियंत्रण समेत अन्य अनेक महत्वपूर्ण बिल देश को एक नयी दिशा और दशा की ओर उन्मुख करेंगे।इन्हीं सुखद नवीनताओं की पदचाप के साथ सभी को नववर्ष शुभ और अतिशय मंगलकारी हो ! ॐ स्वस्ति अस्तु।

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