March 23, 2024

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देवदूत बन प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती महिला को पहुंचाया अस्पताल।

मसूरी : कैमल्स बैक रोड पर रात के समय एक गर्भवती महिला दर्द से तड़प रही थी, जिस पर उनके साथ आई महिला ने 108 को फोन किया लेकिन एक घंटे की प्रतीक्षा के बाद भी जब एंबुलेंस नहीं आयी तो साथ आई महिला घबरा गई व वह भी खुद रोने लगी। इस बीच वहां से गुजर रहे देवदूत बने सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार देवेद्र उनियाल, सामाजिक कार्यकर्ता मनीष गौनियाल ने जब महिला की हालत देखी तो उन्होंने अपनी गाड़ी में बैठे लोगों को उतार कर महिला को गाड़ी में बिठाया व उन्हें उप जिलाचिकित्सालय लंढौर भिजवाया व वे स्वयं पैदल ही गंतव्य तक पहुंचे। अस्पताल पहुंचते ही महिला ने स्वस्थ्य बालक को जन्म दिया।
अस्पताल में चिकित्सक ने बताया कि अगर समय रहते उस गर्भवती महिला को अस्पताल न ले जाया जाता को महिला वहीं सड़क पर या गाड़ी में बच्चे को जन्म दे देती जिससे महिला व बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों ने उनियाल के इस कार्य की सराहना की व उन्हें गले लगाया। बताया कि कि उक्त महिला भारतीय सेना में कार्यरत अरविदं जोशी की पत्नी है। इस दौरान वह सेना में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं जबकि महिला गर्भवती थी जब उसेह प्रसव पीड़ा हुई तो पड़ोस की एक महिला उसको किसी तरह सड़क तक तो ले आई, लेकिन साधन न होने के कारण सड़क पर ही दर्द से कराहती रही। उन्होंने 108 को फोन किया लेकिन एक घंटे प्रतीक्षा के बाद भी एंबुलेंस नहीं आयी तो महिला घबरा गई इस बीच मालरोड पर बुलार्ड लगे होने के कारण जब पत्रकार देवेंद्र उनियाल, समाजसेवी मनीष गौनियाल व उनके साथी वाहन लेकर कैमल्स बैक रोड से जा रहे थे तो राधा स्वामी सत्संग भवन के समीप अंधेरेे में एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। व साथ में खड़ी महिला रो रही थी जिस पर उन्होंने गाड़ी रोक कर पूछा तो पता चला कि वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही है। जिस पर उन्होंने महिला को तुरंत अस्पताल पहुंचाया व खुद पैदल आये। महिला के परिचित धनीराम बडोनी ने बताया कि महिला को दर्द में देख उन्होंने 108 को फोन किया लेकिन एंबुलेंस नहीं आयी जबकि महिला करीब दो सौ मीटर खड़ी सीढियों से चढकर सड़क तक आयी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की खुशियों की सवारी समय पर न पहुंचने पर किसी के लिए दुःख की सवारी बन सकती थी। यह 108 की लापरवाही है जिससे एक गर्भवती महिला व बच्चे के जीवन पर संकट आ सकता था। जबकि पति देश की सेवा में में शरहद पर अपनी सेवा दे रहा है और पत्नी प्रसव पीड़ा से जूझ रही हो यह दुर्भाग्य ही है कि समय से उसे एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल सकी। जबकि करोड़ों की लागत से सैन्य धाम बनाया जा रहा है लेकिन सैनिक परिवारों को कोई सुविधा नहीं हैं। महिला की सुरक्षित डिलीवरी में मदद करने वालों देवेंद्र उनियाल, मनीष गौनियाल, कीर्ति कंडारी, सुभाष भंडारी, अमर सिहं, आशा राम बडोनी का परिजनों ने हृदय से आभार व्यक्त किया जो देवदूत बनकर महिला का बच्चे का जीवन बचाने पहुंच गये।

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