October 13, 2024

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एसजेवीएन ने नेपाल में हासिल की लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना।

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देहरादून : एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल शर्मा ने बताया कि नेपाल सरकार ने नेपाल में 679 मेगावाट की लोअर अरुण जल विद्युत परियोजना एसजेवीएन को प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से आवंटित की है।  दिनांक 29.01.2021 को नेपाल के निवेश बोर्ड की बैठक जिसकी अध्यक्षता नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने की, मेंइस परियोजना को एसजेवीएन को अवार्ड किया गया।

एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, नन्‍द लाल शर्मा ने काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से भेंट की। प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल शर्मा ने एसजेवीएन को लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना प्रदान करने के लिए माननीय प्रधानमंत्रीके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की तथा प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाएगा।

प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल ने बताया कि एसजेवीएन ने चीन सहित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के पश्‍चात अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से इस परियोजना को हासिल किया है ।

लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना नेपाल के संखुवासभा तथा भोजपुर जिलों में स्थितहै।  679 मेगावाट  की लोअर अरुण जल विद्युत परियोजना के पूर्ण होने पर प्रतिवर्ष 3561 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करेगी।

उन्होंने आगे बताया कि नेपाल में एसजेवीएन द्वारा विकसित की जा रही परियोजनाओं के परिणामस्‍वरूप समग्र विकास होगा तथा भारत और नेपाल में पारस्परिक आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि परियोजना गतिविधियों से संबंधित अवसंरचनात्‍मक विकास, क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक के विकास को सुनिश्चित करेगा। एसजेवीएन पहले से ही नेपाल में 900 मेगावाट अरुण-3 जलविद्युत परियोजना तथा 217 कि.मी. 400 के.वी. संबंधित ट्रांसमिशन सिस्‍टम का निर्माण कर रहा है। लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना को अपनी किटी में शामिल करते हुए एसजेवीएन कापोर्टफोलिया 8960.5 मेगावाट हो गया है।

एसजेवीएन की वर्तमान स्थापित क्षमता 2016.51 मेगावाट है तथा 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000  मेगावाट एवं 2040 तक 25000  मेगावाट की कंपनी बनने का लक्ष्य है।  एसजेवीएन ने ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है, जिसमें जलविद्युत, पवन, सौर तथा ताप विद्युत शामिल हैं। कंपनी की ऊर्जा ट्रांसमिशन के क्षेत्र में भी मौजूदगी है।

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