एक दशक होने पर भी पूरी तरह सीवर व्यवस्था नहीं हो पाई शुरू।
मसूरी : पहाड़ों की रानी मसूरी में सीवर की व्यवस्था को सुचारू करने में अभी और समय लग सकता है। हालांकि अभी तक चार एसटीपी टैंक तैयार हो चुके हैं जिन्होंने काम करना शुरू कर दिया है। बाकी जो कार्य बचा है उसके लिए शासन ने 13करोड़ रूपये स्वीकृत किए है जिसके शीध्र टेंडर किए जायेंगे।
मसूरी में लगातार बढती सीवर की समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन ने मसूरी की पूरी सीवर व्यवस्था को बदल नई सीवर व्यवस्था तैयार करने के निर्देश दिए थे जिसके लिए 61करोड़ 73लाख स्वीकृत हुए थे, लेकिन एक दशक बीतने पर भी इसका पूरा लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में जब पेयजल निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता सुभाष चंद्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी तक विभाग ने तीन एसटीपी प्लांट जल संस्थान को समर्पित कर दिए हैं जिन्होंने कार्य करना शुरू कर दिया है जिसमें कुलड़ी सराय, लंढौर नार्थ व हैप्पी वैली हैं वहीं भटटा फाल भी तैयार हो गया है व उसने भी कार्य करना शुरू कर दिया है। वहीं चार एसटीपी अभी वन विभाग से अनापित्त पत्र न मिलने के कारण लटके पड़े हैं। उन्होंने बताया कि अभी शासन को 13 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था जो स्वीकृत हो गया है जिसमें शीघ्र टेडर होने जा रहे हैं। इस धनराशि से भिलाडू व लंढौर साउथ एसटीपी व अन्य कार्य के साथ ही जो 12 मीटर की लाइन बची है उसका टेंडर किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अभी मसूरी में करीब 7 से 8 किमी क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाने की मांग की जा रही है लेकिन उसके लिए अलग से स्टीमेट बनाया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि लंढौर साउथ में सीवर लाइन का कुछ कार्य कर दिया गया है तथ कुछ कार्य पुश्ता लगने के बाद किया जायेगा वहीं जो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो गये हैं उनमें सर्विस लाइन भी बिछा दी गई है व वह पूरी तरह कार्य कर रहे हैं। मालूम हो कि मसूरी में जल संस्थान अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही सीवर व्यवस्था से काम चला रहा था जो कि मात्र उस समय पांच हजार लोगों के लिए बनाई गई थी लेकिन मसूरी में लगातार बढती आबादी के बाद सीवर बहने की समस्या गभीर रूप लेने लग गई थी जिस पर वर्ष 2010 में शासन ने नई सीवर लाइन बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की थी जिसके तहत नई सीवर व्यवस्था तैयार हो गई है। जिसमें कुछ कार्य शेष रह गया है।