October 9, 2024

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खिलाड़ी से मशरूम उत्पादक बने सुमित राणा बन रहे युवाओं के प्रेरणा स्रोत।

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टिहरी : कोरोना और लॉकडाउन से जहाँ देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह डगमगाती रही वहीं इस महामारी के बीच कई प्रतिभाओं को अपने कैरियर के रास्ते बदलने को मजबूर होना पड रहा है विद्यालय स्तर पर नेशनल हॉकी में अंन्डर 14,.17, व 19 सहित ओपन फ्लोरबॉल के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्टेट टीम में सेंन्टर फॉर्वड के खिलाडी के तौर पर अपनी अलग पहिचान बनाने वाले गुदडी के लाल. सुमित राणा ने सरकारी नौकरी करने के बजाय अपने गाँव बंगसील में वेस्टर मशरूम की खेती में हाथ अजमाने का कार्य किया जिसमें वह सफलता की ओर अपने कदम बढ़ा चुके हैं।

सच कहते है कि हुनर किसी का मोहताज नही होता है, जज्बा हो तो अंसभव में भी संभव का रास्ता बन जाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाने का मन बनाया हाकी में नेशनल तक हाथ आजमा चुके सेंन्टर फॉर्वड खिलाडी सुमित राणा ने। धनौल्टी विधान सभा के जौनपूर विकासखंड के अंन्र्तगत ग्राम पंचायत बंगसील निवासी सुमित राणा लॉकडाउन के दौरान अपने गाँव आया तकरीबन दो तीन महीनें घर बैठने के बाद उन्होने गाँव में ही स्व रोजगार करने पर विचार किया और मशरूम की खेती करने का मन बनाया और प्रयोग के तौर पर घर के एक कमरे में वेस्टर मशरूम के काम पर जुट गया। उनकी मेहनत रंग लाई और प्रयोग के तौर पर किया काम सफल हो गया। उनके द्वारा उगाया गया मशरूम की ठोस पैदावार अब हर किसी को रिझाने का काम कर रही है। खिलाड़ी से काश्तकार बने सुमित राणा ने प्राईमरी से 10 वी तक की शिक्षा मसूरी के सेंटलारेंस हाई स्कूल, इंटर घनानंद राजकीय इंटर कालेज मसूरी से पूरी की। वहीं हॉकी को अपने कैरियर से जोडने के बाद सुमित ने एमपीजी कालेज मसूरी से बीए द्वितीय वर्ष उतीर्ण कर पढाई छोड दी व अपना पूरा ध्यान खेल पर लगा दिया 2014 से 17 और 2019 में उत्तराखंड की हॉकी टीम में मुख्य खिलाडी के तौर पर प्रतिभाग कर नेशनल खेला व 2017-.18 में उन्होने देहरादून अकादमी के नेतृत्व में ओपन फलोरबॉल हॉकी प्रतियोगिता में भाग लिया। लेकिन कोरोना के कारण गाँव आये सुमित राणा ने गाँव में ही स्वरोजगार का एक नया फॉर्मुला अपना कर मशरूम की खेती पर मन लगा दिया है। सुमित राणा का कहना है कि कैरियर एक बॉल है वह चाहे हाकी हो या किसी अन्य क्षेत्र की मेहनत व लग्न से किया गया काम सदैव फलकारी होता है। उनका कहना है कि परिस्थितियां कब करवट बदल दें जिसको संभालने के लिये हौसला ही मात्र एक सहारा है।.खेल के मैदान से खेती के मैदान पर उतने खिलाडी ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि उत्तराखंड से पलायन रोकना तभी संम्भव है जब सरकार स्वरोजगार मुहैया करवाने के लिये युवाओं को उचित संसाधन और सही मायने में ऋण का ठोस प्रबंन्ध करें। हॉलाकि सरकार घोषणायें तो करती है लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का नाम तक देखने को नही मिल पाता है जो फाईल कवर में ही कैद होकर दम तोड देती है। सुमित पंवार ने कहा कि वह कोनोना काल में घर पर ही रहे व सरकार की स्वरोजगार योजनाओं के बारे में जानकारी एकत्र करते रहे उन्होंने भी प्रयास किया लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए इतने अधिक कागज पूरे करने होते हैं कि हर कोई उसे पूरा नहीं कर सकता जिसके कारण वह योजना का लाभ नहीं उठा पाता। फिर उन्होंने गूगल पर सर्च किया तो उन्हें मशरूम की खेती के बारे में चंडीगढ से जानकारी मिली उन्होंने वहां फोन से संपर्क किया व उनके बताये गये पर कार्य किया व पहले एक कमरे में मशरूम लगाया जिसमें सफलता मिली अब उन्होंने इसी का मुख्य व्यवसाय बना लिया। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिल सकता है जब कागजी कार्रवाई कम की जाय व योजनाओं का सरलीकरण करे। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में मशरूम की दस हजार प्रजाति है लेकिन यहां पांच प्रजाति के मशरूम ही उगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब वह मशरूम बेचने के लिए मसूरी व देहरादून आदि में जाकर बेचने के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं का भी आहवान किया कि वह अपनी पारंपरिक खेती के स्थान पर नकदी वाली खेती के प्रति जागरूक हों ताकि उसका लाभ लिया जा सके व अपने परिवार की आर्थिकी को मजबूत कर सकें।

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