April 12, 2025

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रोलर स्केंटिंग रोड रेस की स्वर्ण जयंती, इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने आने वाली पीढी को संदेश।

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मसूरी। मसूरी से दिल्ली रोलर स्केंटिंग रोड रेस की स्वर्ण जयंती पर गढवाल टैरेस में स्केटर व इतिहासकार गोपाल भारद्वाज व संगारा सिंह ने 75 वर्ष से अधिक उम्र के बावजूद स्केट पैरों में बांध कर स्केट चलाई व स्वर्ण जयंती का उत्सव मनाया तथा मिष्ठान वितरित किया साथ ही युवाओं को जीवन में कुछ करने का संदेश दिया। लेकिन एक कसक है कि कश्मीर से कन्याकुमारी स्केट से जाने की रैली नहीं कर पाये।
इस मौके पर इतिहासकार व स्केटर गोपाल भारद्वाज ने बताया कि मसूरी से 1975 में जब सड़के भी अच्छी नहीं होती थी न ही अच्छे स्केट होते थे तब मसूरी से दिल्ली तक स्केटस चला कर पांच दोस्तों ने दिल्ली तक रैली निकाली। उन्होंने कहा कि उस समय न तो किसी के पास पैसे होते थे न ही कोई स्पोंसर होता था, अपने खर्चे से अपना जीवन को खतरे में डालकर मसूरी से दिल्ली तक 320 किमी स्केटस से गये व जो कीर्तिमान बनाया आज तक एशिया में किसी ने नहीं बनाया। उन्होंने आने वाले पीढी को संदेश दिया कि जीवन में स्पोटर्स में जरूर भागीदारी करे चाहे वह कोई भी स्पोटर्स हो। लेकिन आज कल के बच्चे मोबाइल से चिपके रहते हैं, जो न ही उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक है और न ही उनके स्वयं के जीवन के लिए ठीक है। उन्होंने बताया कि जब रैली दिल्ली पहुंची तो यमुना ब्रिज आधे घंटे तक बंद किया गया जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। दिल्ली पुलिस के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि उस जमाने में तत्कालीन पालिकाध्यक्ष भोला सिंह रावत व रोलर स्केटस क्लब ऑफ इंडिया के मसूरी के अध्यक्ष देवराज कपूर ने सौ- सौ रूपये दिए थे, वहीं एक पालिका कर्मी ने उन्हें दस रूपये दिए थे जो बहुत बड़ी बात थी जिसे हम आज तक नहीं भूले। इस रैली का बहुत अच्छा अनुभव रहा। उन्होने यह भी बताया कि उस समय जो पांच दोस्त थे उनमें से तीन अब इस दुनिया में नहीं है, व अब हम दोनों की बचे है, लेकिन आज हमारे साथ तत्कालीन स्केट रैली के खिलाड़ी गुरूदर्शन सिंह का पुत्र हरमन सिंह जायसवाल भी आया है। उन्होंने अपने अनुभव सुनाये व कहा कि देहरादून पहुचने पर प. जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने बहुत प्रोत्साहित किया। वहीं रास्ते में गाजियाबाद के समीप मसूरी गांव है वहां ज बवह आराम कर रहे थे जो जंगल में छिपे लुटेरे बाहर आये व कहा कि यह पहिया पहन कर क्या कर रहे हो तो हमने कहा कि नाम कमाना है तो उन्होंने कहा कि गोली चलाओ अपने आप नाम हो जायेगा लेकिन हमने कहा कि आप जंगल में छिपे रहोगे व हम खुले में चौडे होकर नाम कमायेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इसके बाद मसूरी से अमृतसर तक 490 किमी की रैली भी निकाली निकाली जिसमें नौ लोग गये व एशिया का रिकार्ड तोड़ा। उस समय जज्बा था। इस मौके पर संगाड़ा सिंह ने कहा कि 50 साल होने व आज फिर से स्केट पहनने पर पुरानी याद ताजा हो गई हैं। उन्होंने युवा पीढी को संदेश दिया कि जीवन में कुछ भी करना हो तो उम्र बाधा नहीं बनती। उन्होंने कहा कि उस समय लोहे के व्हील स्केट में लगे होते थे व वे खुद स्केट के मैनुफेक्चर थे, तब एक किमी भी व्हील नहीं चल पाता था व उन्हें बार बार बदलना पड़ता था, ऐसे में दिल्ली तक रैली करना बहुत बड़ी चुनौती थी। दिल्ली जाने से पहले कई बार मसुूरी से देहरादून तक प्रेक्टिस की व उसके बात तैयार हुए।