बांज बुंरास का जंगल हुआ ध्वस्त।
अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : देश और प्रदेश में एक तरफ पर्यावरण बचाने के नाम पर सरकारों की तरफ से तमाम आयोजन और जागरूकता अभियान चलायें जा रहें हैं और दुसरी ओर हमारे जंगलों का पर्यावरण भगवान भरोसे है। प्रदेश में वन विभाग जंगलों को बचाने के चाहे लाख दावे करे लेकिन यह दावे सीधे तौर पर निराधार हैं। उत्तरकाशी जनपद के प्रखडं नौगांव में ऐसे एक मामला मुंगरसन्ति रेंज में सामने आया जहां तियां बिट के मोरसाले व रूपनेल तोक में बांज के जंगल का एक सुखा बडा़ क्षेत्रफल सामने आया जिसमें सेकडो़ की संख्या में पेड़ ध्वस्त मिले। रूपेनल और मोरसाल तोक वन विभाग के गैर बंगले से महज 5किमी दूरी के आस पास है और हमने जब देखा कि यहां सेकडो़ की तादाद में बांज के पेड़ सुख गये हैं तो हमने वन विभाग के जानकारी लेने की कोशिश की तो एक विभागीय कर्मचारी ने हमें बताया कि यह घटना पूर्व में आगजनी से हुई है। अब आगजनी की यह घटना सही मानी जाये यह कैसे प्रतित हो लेकिन हमने देखा तो उस भु भाग के आसपास के जंगल और पेड़ हरे भरें हैं यदि आग भी लगी होगी तो नीचे से ही लगी होगी लेकिन उस क्षेत्र नीचे पेड़ सब ठीकठाक हैं तो बिच में आग कैसे लगी? हमने एक आंकलन किया और मौके जाकर देखा तो पेडो़ की छाल उतर रही है और पेड़ सुख रहे हैं। यह बांज का जंगल कीसी बडी़ बिमारी से ग्रस्त हो सकता है लेकिन इसका टेक्निकल रूप से मौका करने की जरूरत है यदि वन विभाग जरूरी समझे।
बांज के पेडो़ को सुखने की खबर पर सामाजिक संगठनो और आमजनमास ने उच्चस्तरीय कमेटी से इसका निरक्षण करने की मांग उठाई है और इस प्रभावी उपाय और कदम उठाने की मांग की है। बतादें कि यह सेकडो़ पेडो़ को सुखने की घटना दो चार दिन की नहीं हो सकती है हमें वहां के पशु पालकों ने बताया की यह पिछले पांच सालों से लगभग यह पेड़ सुख रहे हैं जो पर्यावरण को संकट में डाल सकतें हैं। अब सवाल यह है कि क्या पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जायेगा या कोई प्रभावी कदम उठाये जांयेगें यदि नहीं उठाये गये तो भविष्य में पर्यावरण विस्फोट भी हो सकता है।