युथ एग्रो फार्म पापरा थत्युड मे फुलो की खेती के तहत लिलियम व ग्लेडोलियश के फूल चडे लॉकडाउन की भेंट।
सुनील सजवाण
धनोल्टी/नई टिहरी : कोविड के बढते संक्रमण के चलते जंहा लॉक डाउन के कारण इसका सीधा आर्थिक प्रभाव स्वरोजगार,पर्यटन व रोजगार के लिए उत्तराखण्ड या बाहर गए लोगो पर खासा दिखाई दे रहा है वंही कोविड व लॉक डाउन की मार कृर्षि पर भी दिखाई दे रही है जी हां टिहरी के विकास खण्ड जौनपुर के अन्तर्गत ग्राम सभा पापरा गांव के कुछ लोगो ने थत्युड के सिर्वापुल के पास ग्राम पापरा वासियों की पेतृक कृर्षि भुमि जो 2013 की भीषण आपदा की भेंट चढ गई थी व तब से बंजर पडी थी वंही गांव के कुछ लोगो ने ग्राम प्रधान रविन्द्र चमोली के साथ मिलकर इस भूमी को किराए पर ले लिया जिससे गांव वालो को इसी कृर्षि भुमी पर रोजगार भी मिलना शुरु हो गया और अपने खेतो का किराया भी इस भुमी को चक बनाकर घेरबाड के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जिया, फूल, आदी का उत्पादन ग्रामीण युथ एग्रो फार्म ग्राम सभा पापरा समेकित कृर्षि मॉडल के तहत करने लगे जिससे क्षेत्र वासियों को भी आर्गनिक खेती के तहत उगाई गई सब्जिया मिलने लगी इसके साथ घर की मुर्गीयों का फार्म व अण्डे भी लोग यंही से खरीदने लगे व वाहर भी जाने लगे जिससे गांव के लोगो को घर पर ही रोजगार भी मिलने लगा। सरकार की जलागम ग्राम्या 2 के अन्तर्गत इस कृर्षि भुमी हेतु व कृर्षि के तहत स्वरोजगार को बढावा देने के लिए बीजो को निशुल्क दिया जाता है।
वंही वर्तमान मे पिछले वर्ष भी व इस वर्ष भी इस एग्रो फार्म मे फुलो की खेती पर लॉक डाउन का असर आर्थिकी पर भारी पडा है ग्राम पंचायत पापरा के ग्राम प्रधान रविन्द्र चमोली ने बताया की इस एग्रो फार्म पर शादी या अन्य समारोह मे साज सज्जा के लिए प्रयोग किए जाने वाले लिलियस फूल 4000 बल्ब व ग्लेडोलियश के 6000 बल्ब बोए गए थे और सबसे बडी बात की पिछले वर्ष भी व इस वर्ष भी इन फुलो की खेती भी बहुत अच्छी हुई है किन्तु लॉक डाउन व समारोह पर प्रतिबन्ध के कारण ए फुल जो समारोह वाले स्थल पर पंहुच कर खिलते थे किन्तु आज यह फुल एग्रो फार्म मे पालिहाऊस के भीतर ही खिलने को मझबुर है रविन्द्र चमोली ने बताया की कुछ फुल दिल्ली भेजे भी गए किन्तु वर्तमान की स्थिति को देखते हुए फुलो के उचित दाम नही मिल पाए, ग्राम प्रधान रविन्द्र चमोली ने बताया की कृर्षि कार्य करना कोई घाटे का काम नही है फुलो के अलावा इस फार्म मे मुर्गी फार्म का काम अच्छा चल रहा है उन्हे घर की मुर्गी व अण्डो को बाहर बेचने की आवश्यकता ही नही है स्थानिय लोग ही सब्सी, मुर्गी, अण्डे आदी यंही से खरीद रहे है किन्तु फुलो की खेती की मार्केटिगं दिल्ली देहरादुन से जुडी थी जिस कारण लॉक डाउन का असर साफ तौर से फुलो की खेती की आर्थिकी पर दिखाई दे रही है।