भगवान शंकर आश्रम में भव्य , दिव्य शिव महोत्सव में उमड़े सैकड़ो श्रद्वालु , देवादिदेव के नाम से गुंज उठी घाटी
मसूरी । आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन भारत द्वारा संचालित भगवान शंकर आश्रम में श्रावण पूर्णिमा के मौके पर शिव महोत्सव का भव्य एवं दिव्य आयोजन किया गया। शिव भूमि उत्तराखंड की पावन घाटियों में स्थित मसूरी में आयोजित इस महोत्सव में देशभर से आर्यम भक्तों ने सहभागिता की, इस मौके पर 200 से अधिक औषधियों के साथ परमपूज्य प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महराज ने किया रुद्र अभिषेक। गुरुदेव की गगनस्पर्शी आवाज़ में रुद्रीपाठ से चारों ओर शिव नाम की ध्वनि से समूचा वातावरण गुंज उठा, महोत्सव में देश भर से 250 श्रद्धालुओं ने प्रभु प्रसाद का रसा स्वादन किया। श्रावण पूर्णिमा और शिव की आराधना पर प्रकाश डालते हुए श्री आर्यम जी महाराज ने इन पर्वों की महत्त्वता को रेखांकित किया।
महोत्सव के पहले सत्र में रक्षा बंधन के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण विश्व में पहली बार सैकड़ों श्रद्धालुओं ने वृक्षों को राखी बांधी। गुरुदेव ने सभी देशवासियों से आह्ववान करते हुए कहा कि जिस तरह महादेव जीवन और मृत्यु के दाता हैं ठीक उसी प्रकार वृक्ष भी हमारे जीवन के रक्षक हैं, इन पेड़ों को राखी बांध हम न केवल ईश्वर का धन्यवाद करें ,बल्कि प्रकृति के प्रति स्वयं में जागरूकता और जिम्मेदारी के भाव उत्पन्न करें। इसी के साथ कई माताओं एवं बहनों ने गुरुदेव को अपना रक्षक मानकर राखी बांधी। महोत्सव के दूसरे सत्र में रुद्रीपाठ के साथ हुआ दो सौ से अधिक औषिधियों के साथ देवों के देव महादेव शिव का अभिषेक हुआ।
ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष और आश्रम के कुल प्रमुख परम प्रज्ञ जगतगुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य और मार्गदर्शन में समस्त आयोजन संपन्न हुए। उन्होंने देशवासियो को खासकर युवा पीढी़ का आह्ववान किया कि अपनी सांस्कृतिक पद्धतियों की ओर लौटें। वे बताते हैं कि भारत की विशिष्टता केवल उसकी संस्कृति के कारण ही नहीं है, बल्कि साल भर मनाए जाने वाले पर्व भी भारत को सर्वश्रेष्ठ एवं महानता के मार्ग पर प्रतिष्ठित करते हैं। यज्ञ प्रार्थना, हवन भजन, मंत्र, एवं पुष्पार्चन सभी की जीवन शैली का अंग बन रहे हैं। लोगों का जीवन अधिक सफल, शांत, समृद्ध एवं सुखी होता जा रहा है। ज्ञात हो कि गुरुश्रेष्ठ आर्यम जी महाराज के पावन सानिध्य में हज़ारों हज़ार लोगों का जीवन तेज़ी से रूपांतरित हो रहा है। लोग पूर्ण समर्पण और श्रद्धा विश्वास से अपनी मूल जड़ों की ओर लौट रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुनील कुमार आर्य, प्रतिभा आर्य, उत्तकर्ष सिंह, माँ यामिनी श्री, हर्षिता आर्यम, शालिनी श्री, प्रवीन्द्र, देवेन्द्र, अविनाश जायसवाल, श्वेता जायसवाल, प्रीतेश आर्य, अक्षिता, रेखा, सुनील कुमार, प्रशांत आर्य, रमन,तुमुल कक्कड़, नेहा वत्स आदि का सहयोग रहा।