आग पर कब कृपा करेंगें इंद्रदेव।
अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : उत्तराखंड के जंगल इन दिनों धूं धूं कर जलकर आंग की भेंट चढ गये हैं जिससे राज्य में वन चरों और वन संपदा की भारी क्षति हुई है। राज्य में वन मंहकमें ने बेकाबु आग के सामने घुटने टेक दिये हैं और राज्य सरकार से गुहार लगाकर मुख्यमंत्री तीरथ सिहं रावत ने मामले की गंभीरता को समझकर आगजनी की सूचना केंद्र को दी है जहां हाल ही में केंद्र की तरफ से वायु सेना के दो चौपर दिये गये हैं और कुल 17चौपर आग बुझाने में लगें हैं जो राज्य के लिये एक बड़ी सौगात है। बतातें चलें की उत्तराखंड की आमदानी वनों पर निर्भर है चाहे वह चारा है या अन्य वनस्पति महिला यही नहीं रहेंगे तो पहाड़ में जीवन यापन कठीन हो जायेगा।
आगजनी के मामले में हम यदि उत्तरकाशी जनपद की बात करें तो यहां लाखों की वन संपदा नष्ट हुई है और वन्य जीव आग में कालकवलित हुये हैं। जनपद में वन्य जीव विहार मोरी में भी आग ने तांडव मचाया है जहां वन्य प्राणीयों पर खतरे के बादल मंडरा रहें हैं दुसरी ओर टौंस क्षेत्र के वनों में भी भारी नुकसान हुआ है और जनपद का गंगा वन प्रभाग और यमुना वन प्रभाग को मिलाकर देंखें तो उत्तरकाशी के जंगलों में भारी नुकसान हुआ है।
जनपद में हुई आगजनी पर हमें वन विभाग से संबंधित अधिकारियों ने बताया कि जनपद में लगभग 15से20हेक्टियर वन भूमी नष्ट हुई जिससे वन संपदा और वन्य जीवों को भारी क्षति हुई है। उत्तराखंड सरकार ने आग बुझाने के प्रभावी कदम उठाये हैं लेकिन जंगलों की आग बेकाबु है अब सवाल यह है की यदि इंद्रदेव मेहरबान नहीं होतें हैं तो खतरा अभी टला नहीं है। उत्तराखंड राज्य में लगातार हो रही आग की घटनायें सामने आती हैं लेकिन वन विभाग पता लगाने में असफल हैं कि ऐसे कृत्य को अंजाम दे कौन रहा आखिर क्यों अभीतक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।