April 8, 2025

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बाल लेखिका ने अंग्रेजी कविताओं की पुस्तक लिख इतिहास रचा।

मसूरी। मसूरी सीजेएम वेवरली में कक्षा 9 में अध्ययन रत गौरी ने इस छोटी उम्र में अंग्रेजी कविताओं की पुस्तक टेल्स ऑफ रेंजिलिएंस प्रकाशित की है जिसमें 50 कविताएं है। उनकी इस उपलब्धि की उनके विद्यालय सहित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में सराहना की जा रही है। वहीं शीघ्र ही एक और कविताओं की पुस्तक प्रकाशित करने की तैयारी कर रही है।
बाल लेखिका गौरी की इस उपलब्धि पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी बचपन से इच्छा रही है कि वह कछ अलग करे, नेचर के बीच रहने पर उन्होंने नेचर को कविताओं के लिए चुना हालांकि इस पुस्तक में अन्य कविताएं भी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने 12 साल की उम्र से कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। उन्होंने कहाकि उन्हें प्रकृति से प्रेरणा मिली व किसी की गाइडेंस नहीं थी लेकिन जब पुस्तक प्रकाशन का सोचा तो स्कूल व मित्रों की तरफ से गाइड किया गया। उन्होंने कहाकि मेरी कविताओं का आधार मुख्यतः वह जीवन का अनुभव है, जिन्हें कविताओं में लिखा गया है। हालंाकि अन्य विषयों पर भी कविताएं लिखी है। उन्होंने कहाकि वह इस क्षेत्र में उंचाइयों तक जाना चाहती है। पुस्तक जब लिखाी तो स्कूल की प्रधानाचार्या व शिक्षिकाओं सहित सभी ने बहुत सराहा। उन्होंने कहाकि जो हम किसी भी विषय पर अपनी बात नहीं कह पाते उसे कविताओं के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि अभी वह रस्किन बॉड से नही मिली है, लेकिन शीघ्र ही दूसरी पुस्तक प्रकाशित करने जा रही है जिसमें साठ कविताएं है, जिसमें दो विषय रखे गये हैं, जिसमें अनुभव व जिन अनुभवों से प्रेरणा व शक्ति मिलती है उन पर लिखा है। मेरी कोशिश है कि इन कविताओं को हिंदी में भी लिखा जाय व प्रकाशित किया जाय। उन्हांेने कहा कि इस हॉबी को वह हमेशा बनाये रखेंगी व जीवन में कुछ अलग करने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि मेरी कविताओं की पुस्तक इमेजोन पर भी उपलब्ध है तथा अच्छी सेल हो रही है व जब वह पाठको को फोन करती है तो वह सराहना करते हैं कि इस छोटी उम्र में यह किस तरह किया गया।

इस मौके पर उनकी माता सुमन लता ने कहा कि गौरी को पुस्तकों से बड़ा लगाव रहा है, पढाई में अधिक रूचि है, हमारे परिवार में किसी ने इस ओर सोचा भी नहीं लेकिन जब देखा कि यह कविता लिख रही है तो यह ईश्वर की देन है। उन्होंने बताया कि गौरी ने पढाई, कविता लेखन, खेल व मोबाइल के बीच तालमेल बना रखा है। उन्होंने बताया कि गौरी के पिता शिक्षक है लेकिन उन्हें भी तब पता चला जब पुस्तक प्रकाशित हो गयी व वे खुद अचंभित थे।