बजट पर मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की गई।
मसूरी : पहाड़ों की रानी मसूरी में भी कड़ाके की सर्दी के बीच लोग केंद्र सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को देखने के लिए टीवी देखते रहे लेकिन लोगों का बजट के बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया रही। खासकर रोजगार के क्षेत्र में कोई खास नजर नहीं आया।
केंद्र सरकार की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट प्रस्तुत किया जिसको लेकर हर वर्ग के लोगों में उत्सुकता बनी रही व लोगों ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की व देखा गया कि इस बजट पर मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। कड़ाके की सर्दी के बाद भी लोग बजट देखने टीवी से चिपके रहे। इस संबध में आम नागरिक ओपी थपलियाल का कहना था कि यह बजट जनता के हित का बजट है इसमें सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस बजट का लाभ आम गृहणियों को मिलेगा क्यों कि इसमें गैस के दामों में कमी लाने की बात की गई वहीं पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी की बात की गई, खाद्य पदार्थों के दामों में कमी की बात की गई। जिससे लगता है कि यह आम आदमी के हितों का बजट है। मध्यम वर्ग को पांच लाख की टैक्स में छूट दी गई है इससे छोटे व्यापारियों को भी लाभ मिलेगा, बेटी बचाओ बेटी पढाओं को प्रोत्साहित किया गया है शिक्षा के लिए छह सौ करोड रखा गया है। वहीं होटल उद्योग से जुडे पीएस पटवाल का कहना है कि बजट में सभी वर्गो को खुश करने का प्रयास किया गया इसे संतुलित बजट कहा जा सकता है, मध्यम वर्ग को पांच लाख की छूट से राहत मिलेगी वहीं सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में छह सौ करोड़ का प्रावधान रखा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को लाभ मिलेगा वहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं के तहत कार्य किया जायेगा। होटल उद्योग से जुड़े पीएस पटवाल ने कहा कि यह संतुलित बजट है, जिसमें मध्यमवर्ग को आयकर में पांच लाख की छूट का लाभ मिलेगा व उन्हें टैक्स जमा करने से मुक्ति मिलेगी लेकिन अभी देश में ढांचागत विकास की बहुत जरूरत है जिसका प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र की अनदेखी की गई है। क्यों कि जो सुविधाए सरकार ने जनता को दी है उसका सही मायने में लाभ नही मिल पा रहा है। इस मौके पर वित्त विशेषज्ञ शूरवीर सिहं भंडारी ने कहा कि यह बजट मध्यम वर्ग के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है लेकिन इसमें निम्न मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है। यह कुल मिलाकर कार्पोरेट बजट है इससे अर्थ व्यवस्था को थोड़ा पटरी पर लाने में मदद मिलेगी लेकिन आम लोगों को अधिक लाभ नहीं मिल पायेगा। जो पांच लाख की छूट आयकर में दी गई है वह आफस्नल है इसे सीधा रखा जाना चाहिए था जिससे लगता है कि यह बजट चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर छंटनी व वीआरएस की प्रक्रिया चल रही है जिससे इस पांच लाख की छूट का लाभ अधिक लोगों को नहीं मिल पायेगा। उन्होंने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है जिसमें कल्याणकारी बजट बनाना सरकार का दायित्व होता है इससे छोटे उद्योगों व आवास बनाने वालों को भी लाभ मिलेगा।