मतदान निपटते ही एक्शन मोड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, ली बैठक; जंगलों कीआग को लेकर अधिकारियों को दिए ये निर्देश
1 min readलोकसभा चुनाव के दृष्टिगत माहभर तक चुनावी मोड में रहने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को एक्शन मोड में आ गए। कुमाऊं क्षेत्र से लौटते ही मुख्यमंत्री ने वन विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारियों और प्रभागीय वनाधिकारियों के साथ बैठक में जंगल की आग की रोकथाम को उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी भी वन क्षेत्र में आग की घटना पर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। साथ ही सभी जिलों में प्रभागीय वनाधिकारी स्तर पर नोडल अधिकारी नामित करने को भी निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही चारधाम यात्रा, पेयजल व्यवस्था और मानसून से निबटने की तैयारियों को लेकर भी बैठक लेने के संकेत दिए।
जंगल की आग राज्य के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं
मुख्यमंत्री धामी, लोकसभा चुनाव के दौरान राज्यभर में निरंतर सक्रिय रहे। शुक्रवार को मतदान के लिए वह कुमाऊं क्षेत्र के अंतर्गत खटीमा पहुंच गए थे। शनिवार को देहरादून पहुंचते ही उन्होंने अपने आवास में जंगल की आग की रोकथाम को लेकर वनाधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल में जंगल की आग राज्य के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में राज्य से लेकर जिला स्तर तक नोडल अधिकारी माइक्रोप्लान बनाकर अग्नि रोकथाम की योजना पर प्रभावी ढंग से कार्य करना शुरू कर दें।
उन्होंने कहा कि अधिकारी अपनी प्राथमिकता में ये तय कर लें कि पहले तो वनों में आग की कोई घटना न घटे, यदि कहीं आग की सूचना मिलती है तो तत्काल जिम्मेदारी के साथ रोकथाम को कदम उठाएं। उन्होंने सभी जिलों में नोडल अधिकारी नामित करने के साथ ही हेल्पलाइन व टोल फ्री नंबर जारी कर इनका व्यापक प्रचार-प्रसार कर आमजन को जागरूक करने को निर्देशित किया। जंगल की आग की रोकथाम में स्थानीय निवासियों, जनप्रतिनिधियों, वन पंचायतों का सहयोग लेने पर भी उन्होंने जोर दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि कोई वनों में जानबूझकर आग लगाने की घटना में संलिप्त पाया जाता है उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में जंगल की आग की रोकथाम को उठाए गए कदमों की जानकारी दी। बैठक में चीड़ की पत्तियों यानी पिरुल के उपयोग और आबादी वाले क्षेत्रों में बंदरों की धमक रोकने पर भी विमर्श हुआ। बैठक में वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डा अनूप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत डा धनंजय मोहन, विशेष सचिव डा पराग मधुकर धकाते मौजूद थे, जबकि प्रभागीय वनाधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक से जुड़े।
जनसमस्याओं का तत्परता से कराएं निदान
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि वे जनता की हर समस्या का समय पर निदान सुनिश्चित कराएं, इसमें किसी प्रकार की कोताही सहन नहीं होगी। उन्होंने अधिकारियों को बैठकों में पूरी तैयारी के साथ आने, अधीनस्थों को भी चुनावी व्यस्तता से बाहर आकर रूटीन के कार्यों में जुटने को भी कहा। उन्होंने कहा कि विषम भूगोल वाले इस राज्य में सरकारी मशीनरी को चौबीसों घंटे सातों दिन सजग रहकर जनसरोकारों से जुड़े विषयों व इनके समाधान को तत्पर रहना होगा।
जंगल की आग (इस वर्ष अब तक)
क्षेत्र, घटनाएं, प्रभावित क्षेत्र
गढ़वाल, 161, 175.4
कुमाऊं, 176, 218.47
वन्यजीव परिरक्षण, 36, 42.55
(नोट: घटनाएं संख्या में और क्षेत्रफल हेक्टेयर में)