November 8, 2024

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Uttarakhand Transport Corporation के घपलों की जांच विजिलेंस में ‘कैद’, उच्च न्यायालय व मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद आगे नहीं बड़ी जांच

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उत्तराखंड परिवहन निगम में अधिकारियों और अनुबंधित बस आपरेटरों के बीच चल रहे चल रहे गठजोड़ व वित्तीय घपले की की परतें उधेड़ने की जांच विजिलेंस के कार्यालय में ‘कैद’ होकर रह गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले वर्ष जून में इस मामले में विजिलेंस जांच बैठाई थी, लेकिन विजिलेंस ने चार माह तक कुछ नहीं किया। इसके बाद नैनीताल उच्च न्यायालय ने अक्टूबर में विजिलेंस को शीघ्र जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए थे, लेकिन सात माह बीत जाने के बावजूद विजिलेंस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। जानबूझकर जांच में ढिलाई बरतने के आरोप भी विजिलेंस पर लग रहे हैं।

विरुद्ध 11 पेज का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष व परिवहन निगम से सेवानिवृत्त दिनेश गोसाई की ओर से परिवहन निगम के डीजीएम भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध 11 पेज का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिया गया था। डीजीएम भूपेंद्र कुमार और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों की पूरी जानकारी के साथ यह बताया गया था कि किस-किस तारीख को अनुबंधित बस आपरेटर व ढाबा संचालकों ने इन खातों में धनराशि जमा की। शिकायत में निगम के कुछ डिपो अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए थे और आरोप था कि यह सभी भी अनुबंधित बस आपरेटरों व अनुबंधित ढाबा संचालकों से रिश्वत लेते हैं और यह रकम अपने व परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में जमा कराते हैं। शिकायत का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री ने 22 जून-2023 को डीजीएम भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। उन पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप भी हैं। आदेश यह भी दिए गए कि जांच में परिवहन निगम के उन अधिकारियों को शामिल किया जाए, जो अनुबंधित बस आपरेटरों की भुगतान प्रक्रिया से जुड़े हैं। एक वर्ष बीतने में महज दो माह शेष रह गए हैं, लेकिन विजिलेंस ने जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं की।

बैंक खातों में रकम लेने के हैं आरोप
मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत में डीजीएम भूपेंद्र के पंजाब नेशनल बैंक की इंद्रानगर शाखा और यूनियन बैंक आफ इंडिया की हरिद्वार बाईपास स्थित शाखा के खातों में अनुबंधित बस आपरेटरों से अलग-अलग तिथियों पर मोटी राशि जमा होने का आरोप है। इसके अतिरिक्त भूपेंद्र कुमार की पत्नी, बेटे व बेटी के नाम पर संचालित बैंक खातों में भी लाखों रुपये अनुबंधित आपरेटरों की ओर से जमा कराने के आरोप हैं। भूपेंद्र पर निगम के सेवानिवृत्त कार्मिकों के लंबित देयकों का भुगतान करने की एवज में धनराशि वसूलने का आरोप भी लगाए गए थे।

अधिकारियों की ‘अपनी’ भी बसें
परिवहन निगम में कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं, जिनकी अपनी अनुबंधित एसी और साधारण बसें चल रहीं हैं। इन्होंने अपने भाई-भतीजे के नाम पर बस का अनुबंध कराया हुआ है। पांच वर्ष पूर्व यह मामला सुर्खियों में आया था और निगम प्रबंधन ने जांच कराने का दावा किया था, लेकिन न कभी जांच हुई और न बसें हटीं। वर्तमान में भी कुछ डिपो के एजीएम से लेकर मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की अनुबंधित बसें बेधड़क दौड़ रही हैं। इन बसों का भुगतान भी अन्य बस आपरेटरों के मुकाबले सबसे पहले होता है। इस मामले की जांच भी विजिलेंस में लंबित है।