July 7, 2025

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मसूरी – जाम के झाम से बेहाल हुई पर्यटन नगरी, कुठाल गेट से मसूरी तक चरमराई व्यवस्था।

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मसूरी : पर्यटक सीजन के दौरान इस बार पुलिस प्रशासन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐसा लग रहा है मानों मसूरी में जंगल राज चल रहा हो। लाइब्रेरी चौक को छोड़ पूरी मसूरी में पुलिस का एक जवान कहीं नजर नहीं आ रहा जिसके कारण लोगों को जाम से जूझने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि सीजन के दौरान जाम लगना सामान्य है लेकिन शुक्रवार को तो हद हो गई जब पूरी मालरोड पर जाम में लोग घंटो फंसे रहे व लाइब्रेरी से कुलड़ी आने में एक घंटा से अधिक का समय लगा जिसके कारण पर्यटक व स्थानीय नागरिक खासे परेशान रहे।


सीजन से पहले व्यवस्था बनाने के लिए बैठकों का दौर जारी रहता है और व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लिए आला अधिकारी स्थानीय व्यापारियों पुलिस प्रशासन और नगर प्रशासन के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कहते हैं। तथा कहते हें इस वर्ष किसी भी प्रकार की असुविधा पर्यटकों को नहीं होने दी जाएगी, लेकिन पर्यटन सीजन शुरू होते ही सारी व्यवस्थाएं धराशायी हो जाती है और बैठकों का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाता। बल्कि व्यवस्था चरमरा जाती है जिससे जूझने के लिए स्थानीय नागरिकों व पर्यटकों को बेबस होना पड़ता है। इन दिनों पर्यटक सीजन चरम पर है और हजारों की संख्या में पर्यटक मसूरी की ओर रुख कर रहे हैं लेकिन मसूरी के प्रवेश द्वार से ही उन्हें जाम का सामना करना पड़ जाता है और यहां तक पहुंचते-पहुंचते पर्यटक जाम से हलकान होकर परेशान हो जाते हैं। मीलों लंबा जाम और घंटों इंतजार के बाद किसी प्रकार से पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं और यहां पर भी उसी स्थिति से जुगरना पड़ता है जिससे वह निराश हो जाता है क्योंकि उसका पूरा एक दिन बेकार चला जाता है और अगले ही दिन वह वापस जाने को मजबूर हो जाता है। स्थानीय नागरिक ओपी थपलियाल का कहना है कि कोविड के दो साल बाद इस बार सीजन पूरे चरम पर है लेकिन साथ ही व्यवस्थाएं चरमरा गई है। पुलिस प्रशासन के सारे दावे रेत के भवन की तरह भरभरा कर गिर गये हैं। इस बार तो ऐसा लग रहा है कि मसूरी में न ही पुलिस प्रशासन कहीं नजर आ रहा है और न ही कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नजर आ रही है। पुलिस व प्रशासन व्यवस्थाएं बनाने में नाकाम साबित हो रहा है क्यों कि जितनी अपेक्षा की गई थी उससे कहीं अधिक पर्यट कइस बार मसूरी पहुंचे हैं और उनके आने का क्रम लगातार बढ़ रहा है। उसके हिसाब से व्यवस्थाएं नाकाफी है। न ही पुलिस के पास पर्याप्त बल है और न ही पालिका इस ओर ध्यान दे रही है। जबकि पालिका के द्वारा पीआरडी की भर्ती की जाती है लेकिन वह कहीं भी नजर नहीं आते। सुबह से ही जाम लग जाता है जिस कारण स्कूली बच्चों को विद्यालय पहुंचने में विलंब हो रहा है वहीं जिनको बाहर जाना है वह भी समय से न पहुंचने के कारण परेशान हो रहे हैं। हालात इतने खराब हो रहे हैं कि सड़क पर पैदल चलने वालों को भी जगह नहीं मिल रही, एक वाहन दूसरे वाहन से सटा दिया जाता है। व लोगों को भी वाहनों के बीच फंसने को मजबूर होना पड़ता है जब वाहन रेंगते हैं तो उसी के साथ उन्हें भी रेंगने को मजबूर होना पड़ता है। हालात यह हैं कि पर्यटक कुठाल गेट से ही जाम से सामना करने लगता है वहां पर आरटीओ की पोस्ट बना दिए जाने से वाहन खड़े कर दिए जाते हैं उससे ही जाम लगना शुरू हो जाता है ठीक उसके समीप ही शिव मंदिर है जहा पर भी जाम लगता है वहीं कोल्हूखेत में ईको टैक्स के कारण भारी जाम लगता है वहीं उसके बाद रास्ते में पर्यटकों के वाहन प्राकृतिक सौंदर्य निहारने के लिए खडे कर दिए जाने से भी जाम लगता है व फिर भटटा गांव व मसूरी झील में जाम लगता है उसके बाद से तो मसूरी तक जाम से ही जूझना पड़ता है। माना कि यह तो मुख्य मार्ग है लेकिन पहली बार मालरोड पर इतना जाम लग रहा है जितना पहले कभी नहीं लगा। इसका कारण मालरोड पर पुलिस का न होना, सामान ढोने वाले वाहनों को निर्धारित समय से अधिक समय तक छूट देना ये वाहन जहां तहां खड़े कर साामन  सप्लाई करते हैं वहीं पर्यटकों के वाहन बिना वजह मालरोड पर घूमना। क्यो कि पर्यटकों को पता नहीं रहता है कि मालरोड पर प्रवेश केवल गंतव्य तक जाने के लिए है न कि मालरोड में वाहन घुमाने के लिए है। इस कारण पर्यटक वाहनों को मालरोड पर शॉपिंग करने, खाना खाने के लिए ले जाता है और खड़ा कर देता है जिससे जाम लगता है। वहीं मालरोड पर अतिक्रमण व अवैघ पटरी भी जाम का कारण बन जाती है। दुकानों का सामान आधी सड़क पर रखा जाता है। ऐसे कई कारण है जिनसे जाम लगता है और इन छोटे कारणों को पालिका प्रशासन व पुलिस व्यवस्थित कर सकती है। लेकिन पुलिस की कमी के कारण इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जाता।

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