यमुनोत्री धाम का वैकल्पिक मार्ग करोडो़ खर्च करने के बाद भी खस्ताहाल।
अरविन्द थपलियाल
उत्तरकाशी : यमुनोत्री धाम की कायाकल्प करने के लिये प्रत्येक साल करोडो़ का वजट आवंटित होता है लेकिन यहां की स्थिति में कभी सुधार नहीं आता है। पहले तो जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम का पैदल मार्ग बेहद खस्ताहाल है, निर्माण कार्य की स्थिति को देखकर यही अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि विकास कार्यों को लेकर सिर्फ सरकारी विभाग बंदर बांट करतें हैं ,मामले पर समाजसेवी महावीर माही बतातें हैं कि यमुनोत्री के निर्माण कार्य की जवाबदेही तय नहीं हो रही है कि यहां इतनी खस्ताहाल स्थिति क्यों है।यमुनोत्री पैदल मार्ग की फिसलन और भंडेली गाड़ से बैकल्पिक मार्ग को लेकर उत्तराखंड सरकार जिला प्रशासन व निर्माण विभाग सवालों के घेरें में हैं कि आखिर इतनी घटिया गुणवत्ता का निर्माण कार्य क्यों हुआ। भंडेली गाड़ से जाने वाला बैकल्पिक मार्ग जानलेवा साबित हो रहा है यदि कोई अनहोनी हो गयी तो उस दिन सिर्फ शोक सवेदना ही प्रकट होगी बाकी किसी की जान नही बचाई जायेगी। सरकार को यमुनोत्री धाम का रोड़ मैप तैयार करना चाहिए जिससे देश प्रदेशों से आने वाले तीर्थ यात्री सरकार को साबासी दे नाकि सरकारी की नाकामीयां गिनायें। यमुनोत्री धाम की यात्रा पर आये भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने भी माना कि यमुनोत्री धाम के लिये सरकारी सिस्टम तैयार नहीं हैं। भाजपा नेता ने बताया कि जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उप चुनाव का परिणाम आजायेगा तब यहां की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। अब ऐसे में सवाल यह भी है कि कब यमुनोत्री धाम सफाई युक्त और विकास की अगरणिय श्रेणी में शामिल होगा।
चारों धामों में सर्वप्रथम धाम यमुनोत्री धाम है देश विदेशों से प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं लेकिन सरकार की नाकामियों की वजह से यह धाम प्रतिवर्ष बिछड़ता हुआ जाता है जबकि यह सर्व प्रथम धाम है यहां किसी भी प्रकार की कोई सुविधा तैयार नहीं की जाती है जिससे लाखों श्रद्धालुओं के यहां आने मे भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कहने को तो यहां की यात्रा 6 किलोमीटर की बताई जाती है लेकिन रास्तों की हालत गंभीर होने की वजह से यह 12 से 24 किलोमीटर जैसी लगती है ऐसा लगता है कि हां अंधेरी नगरी है और इसका राजा चौपट राज है